धारवाड़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के दूसरे दिन बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए हमलों को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है। बैठक में कार्यकारी मंडल ने बांग्लादेश के इस्लामीकरण के षड्यंत्र की कड़े शदों में भत्र्सना करते हुए इसे हिन्दू समाज के निर्मूलन का योजनाबद्ध प्रयास बताया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में बताया कि प्रस्ताव में कहा गया है कि हिन्दू समाज को लक्षित कर बार-बार हो रही हिंसा का वास्तविक उद्देश्य बांग्लादेश से हिन्दू समाज का संपूर्ण निर्मूलन है, फलस्वरूप भारत विभाजन के समय से ही हिन्दू समाज की जनसंया में निरंतर कमी आ रही है। विभाजन के समय पूर्वी बंगाल में हिन्दुओं की जनसंया लगभग 28 प्रतिशत थी, जो घटकर लगभग आठ प्रतिशत रह गई है। जमात-ए-इस्लामी (बांग्लादेश) जैसे कट्टरपंथी इस्लामी समूहों द्वारा अत्याचारों के कारण विभाजन काल से, विशेषकर 1971 के युद्ध के समय बड़ी संया में हिन्दू समाज को भारत में पलायन करना पड़ा।
श्री अरुण कुमार ने बताया कि बैठक में मानवाधिकार के तथाकथित प्रहरी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित संस्थाओं के गहरे मौन पर चिंता व्यक्त की गई है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आवाहन किया कि इस हिंसा की निंदा करने के लिए आगे आए व बांग्लादेश के हिन्दू, बौद्ध व अन्य अल्पसंयक समाज के बचाव व सुरक्षा के लिए अपनी आवाज़ उठाए। बांग्लादेश या विश्व के किसी भी अन्य भाग में कट्टरपंथी इस्लामिक शक्ति का उभार विश्व के शांतिप्रिय देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था और मानवाधिकार के लिए गभीर खतरा सिद्ध होगा। प्रस्ताव में हिंसा से पीडि़त परिवारों की सहायता के लिए इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, विश्व हिन्दू परिषद एवं अनेक हिन्दू संगठनों-संस्थाओं की सराहना की गई है। कार्यकारी मंडल ने भारत सरकार से भी अनुरोध किया कि उपलब्ध सभी राजनयिक माध्यमों का उपयोग करते हुए बांग्लादेश में हो रहे आक्रमणों व मानवाधिकार हनन के बारे में विश्व भर के हिन्दू समाज एवं संस्थाओं की चिंताओं से बांग्लादेश सरकार को अवगत कराए ताकि वहाँ के हिन्दू और बौद्ध समाज की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान -
श्री अरुण कुमार जी ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान में धन एकत्रित करना संघ का मुख्य उद्देश्य नहीं था। संघ का मानना था कि न्यास आवाह्न कर रहा है तो समाज के अधिकतम लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया गया। देश में 6.5 लाख (अनुमानित आंकड़ा) गांवों में से 5.34 लाख गांवों तक कार्यकर्ता पहुंचे, सभी नगरों की सभी बस्तियों तक पहुंचे। अभियान में 12.73 करोड़ परिवारों तक कार्यकर्ता पहुंचे। अभियान में केवल संघ के कार्यकर्ताओं ने काम किया ऐसा नहीं है, समाज में स्वयं प्रेरणा से बहुत बड़ी संख्या में लोग जुड़े। अभियान में 25 से 30 लाख महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। यद्यपि यह बड़ी चुनौती थी लेकिन सब लोगों ने मिलकर काम किया तो आसान हो गया। उन्होंने कहा कि मार्च माह की बैठक में इन सभी लोगों को पर्यावरण संरक्षण, परिवार प्रबोधन, समरसता, सामाजिक सद्भाव के कार्य के साथ जोडऩे पर विचार हुआ था
निधि समर्पण अभियान में 12.73 करोड़ परिवारों तक पहुंचे कार्यकर्ता -
ये चारों समाज की गतिविधि बने, इस दृष्टि से काम करने का तय किया था। इसे लेकर अभी तक हुए प्रयासों व अनुभवों की समीक्षा बैठक में हुई है। साथ ही देश स्वाधीनता के 75 वर्ष का उत्सव मना रहा है। स्वाधीनता के 75 वर्ष पर या-या कर सकते हैं, और या करना चाहिए, इसे लेकर भी बैठक में चर्चा व समीक्षा की गई है। उल्लेखनीय है कि संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था प्रतिनिधि सभा है, साल में एक बार बैठक मार्च में होती है। दूसरी सांविधानिक संस्था कार्यकारी मंडल है, इसकी बैठक अभी कर्नाटक के धारवाड़ में चल रही है। मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में वर्ष भर का कैलेंडर बनाते हैं, और अखिल भारतीय कार्यकर्ताओं का प्रवास भी तय होता है। अटूबर की बैठक का एक काम होता है, वर्ष में अभी तक के कार्य की समीक्षा करना।