राज्यसभा में हंगामे को लेकर भावुक हुए सभापति, कहा - सदन में जो हुआ, उससे बेहद आहत
नईदिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू बुधवार को सदन में विपक्षी सदस्यों के आचरण से आहत दिखे और भावुक हो गए।उन्होंने सदन में गत मंगलवार विपक्षी सदस्यों के रवैये की ओर संकेत करते हुए कहा किइससे परेशान हो वह पूरी रात सो नहीं पाए।
नायडू ने सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामें पर चिंता जताते हुए कहा कि कुछ सदस्यों और दलों ने प्रतिष्ठित सदन की गरिमा और कद को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के रूप में वह और पूरा देश भी इससे व्यथित हैं। बता दें कि मंगलवार को कुछ सांसद रिपोर्टिंग टेबल पर चढ़ गए। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने तो आसन की तरफ रूल बुक भी उठा कर फेंक दी।
आज सदन की कार्यवाही शुरू होने पर नायडू ने रिपोर्टिंग टेबल को पवित्र बताते हुए सांसदों को याद दिलाया कि मंगलवार को हुआ अराजक व्यवहार लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र करने जैसा था। वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन के सभापति के तौर पर वह लोकतंत्र के मंदिर की बेअदबी के प्रतिस्पर्धी कृत्यों के निहितार्थ और परिणामों की कल्पना करते हुए डरते हैं।विपक्ष में इस बात से नाराज था कि पिछले कई दिनों से चली आ किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग पर सरकार ने केवल थोड़े समय के लिए ही चर्चा की अनुमति दी है।
पूरे घटनाक्रम पर सभापति ने कहा कि वह पिछले दिन सो नहीं पाए और यह विचार करते रहे कि आखिर किस उकसावे के कारण के चलते प्रतिष्ठित सदन को इतना नीचे गिराने के लिए मजबूर होना पड़ा।नायडू ने कहा कि सभी को स्वीकार्य प्रावधान के तौर पर कृषि समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा कराए जाने को सूचीबद्ध किया गया था। उन्हें नहीं समझ में आ रहा कि यह कैसे विपक्षी नेताओं को किसानों के मुद्दे जिसमें कृषि बिल भी शामिल हैं को उठाने से रोकता था।
उन्होंने कहा कि विचारों को लेकर आपसी मतभेद हो सकता है। हमारी कुछ विशिष्ट मांगे भी हो सकती हैं। उस पर सदन में चर्चा की जा सकती है। विरोध किया जा सकता है। मतदान किया जा सकता है। यह सदस्य का अधिकार है। विपक्ष विपक्ष कानूनों को वापस लेने की भी मांग कर सकता है लेकिन यह सरकार को करना।