बिहार सरकार को झटका, पटना हाई कोर्ट ने रद्द की 65% आरक्षण व्यवस्था
पटना हाई कोर्ट ने इस व्यवस्था को अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन पाया है।
बिहार। पटना हाई कोर्ट से बिहार सरकार को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने बिहार में पिछड़े वर्गों, ईबीसी, एससी और एसटी के लिए 65% आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। न्यायालय ने बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता खंड का उल्लंघन करने वाला और अधिकारहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है।
मुख्य न्यायधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की बेंच ने मामले की सुनवाई की थी। हाई कोर्ट में याचिका लगाकर साल 2023 में बिहार विधानसभा द्वारा लाये गए संशोधनों को चुनौती दी गई थी। इन संशोधनों के तहत आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया था जो कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसलों के खिलाफ था।
बिहार में महागठबंधन की सरकार के समय नीतीश कुमार ने जाती जनगणना के बाद आरक्षण की नई व्यवस्था दी थी। इसे लेकर कई लोगों ने नाराजगी जताई थी क्योंकि आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 65 प्रतिशत हो गई थी। यह समानता के अधिकार का हनन है।
अब बिहार में पुरानी व्यवस्था के तहत ही आरक्षण मिलेगा। कोर्ट में इस मामले पर लँबी बहस हुई। पिछली सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 20 जून को पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया और 65 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था को रद्द कर दिया।