दिवाली सेलिब्रेशन 2024: दिवाली पर पणजी में जलाया राक्षस नरकासुर का पुतला, जानिए क्यों है पुतला दहन की परंपरा
Goa Diwali Celebration 2024 : पणजी। आज दिवाली का त्यौहार है। इस अवसर पर गोवा के पणजी में लोगों ने राक्षस नरकासुर का पुतला जलाया। पूरे देश में माता लक्ष्मी- गणेश की पूजाकर दिया जलाकर दिवाली मनाते है। पटाखे फोड़ते हैं, मिठाइयां खिलते है, लेकिन गोवा में दिवाली परंपरागत तरीके से मनाई जाती है। यहां दिवाली पर राक्षस नरकासुर का पुतला दहनकर दिवाली मनाई जाती है। आइए जानते हैं यहां क्यों है पुतला दहन की परंपरा...।
क्यों जलाते है नरकासुर का पुतला
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर नामक राक्षस का वध भगवान कृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन किया था और दिवाली त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है , इसलिए यहां हर साल दिवाली उत्सव की शुरुआत नरकासुर का पुतला दहन करने से होती है। इतना ही नहीं नरकासुर वध करने की प्रतियोगिता भी होती है।
नरकासुर वध प्रतियोगिता
नरकासुर वध को लेकर गोवा के सभी जिलों में जगह- जगह नरकासुर का पुतला दहन किया जाता है। कई जिलों में रातभर नरकासुर वध प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं। इन प्रतियोगिताओं में लोगों के कई ग्रुप्स में हिस्सा लेते हैं। इस मौके पर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हुए नरकासुर के कई पुतले जलाए जाते हैं। इसके अलावा पूरे राज्य में नरकासुर के पुतले बनाने का कॉम्पीटीशन किया जाता है। प्रतियोगिता जीतने वाले को पुरूस्कार दिया जाता है।
कौन था राक्षस नरकासुर
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर एक राक्षस था जो पृथ्वी देवी भूदेवी और भगवान विष्णु के वराह रूप के मिलन से पैदा हुआ था। नरकासुर ने भगवान ब्रह्मा द्वारा दिए गए वरदान का दुरुपयोग किया और देवताओं समेत लोगों, जीव जंतुओं पर खूब अत्याचार किया। अत्याचार से त्रस्त होकर देवता भगवान कृष्ण की शरण में गए। इसके बाद भगवान कृष्ण ने नरकासुर से युद्ध किया और उसका वध किया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने अभ्यंग स्नान किया, जो नरकासुर के खून को धोने का प्रतीक है।