विधायिका और कार्यपालिका के बीच झूल रहे जनहित के मुद्दे: सैंकड़ों सवालों के जवाब अटके, शून्यकाल के मामले, आश्वासन व सिफारिशें लंबित...
भोपाल। मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र इसी महीने 16 दिसंबर से 20 दिसंबर तक होगा। सत्र की घोषणा के बाद शासन स्तर पर विभागों ने पिछले सत्रों के अपूर्ण उत्तर, आश्वासन, शून्यकाल और लोक लेखा समिति की सिफारिशों की पड़ताल शुरू कर दी है।
पिछले हफ्ते मुख्य सचिव अनुराग जैन ने विधानसभा सत्र को लेकर सभी विभागों के अधिकारियों की बैठक ली। जिसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।
संबंधित विभाग विधानसभा के अपूर्ण उत्तरों को पूर्ण करने में रुचि नहीं ले रहे हैं और न ही संबंधित विभाग के मंत्रियों द्वारा सदन में दिए गए आश्वासनों को पूरा कर पा रहे हैं।
मुख्य सचिव द्वारा आगामी सत्र की तैयारी तथा लंबित कार्यों को लेकर की गई समीक्षा बैठक में यह तथ्य सामने आया है कि 2 दिसंबर की स्थिति में शून्यकाल के 43 मामले लंबित हैं। इसी तरह 995 प्रश्नों के अभी तक जवाब नहीं दिए गए हैं।
886 आश्वासनों पर संबंधित विभागों ने कोई काम ही नहीं किया है। वहीं विधानसभा की सबसे प्रमुख समितियों में गिनी जानी वाली लोक लेखा समिति की 66 सिफारिशों को भी नहीं माना गया है। ये सभी मामले में कार्यपालिका (शासन) स्तर पर लंबित हैं।
शून्यकाल:
2 दिसंबर की स्थिति में शून्यकाल की 43 सूचनाएं लंबित हैं। जबकि 18 जून 2024 की स्थिति में 39 मामले लंबित थे। जिनमें सबसे ज्यादा राजस्व विभाग की 12, लोक निर्माण विभाग की 6, पंचायत एवं ग्रामीण विकास 4, स्कूल शिक्षा 4, स्वास्थ्य विभाग में शून्यकाल के 3 प्रकरण लंबित हैं।
अपूर्ण उत्तर:
मौजूदा स्थिति में 995 प्रश्नों के जवाब विधायकों को नहीं मिले हैं। जून में यह संख्या 939 थी। जिनमें सबसे ज्यादा कृषि विभाग 166, सामान्य प्रशासन 123, राजस्व 93, नगरीय विकास 60, सहकारिता 58, जनजातीय कार्य 49, वित्त 48, जल संसाधन 33, स्कूल शिक्षा 30, अनुसूचित जाति कल्याण 25, परिवहन 24, उच्च शिक्षा 21, धार्मिक न्यास 20, पंचायत 16, खनिज विभाग ने 12 सवालों के जवाब नहीं दिए हैं।
आश्वासन:
विधानसभा में मंत्रियों द्वारा दिए गए 886 आश्वासनों को पूरा नहीं किया गया है। जून में यह संख्या 1085 थी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के 193, जनजातीय कार्य 67, स्वास्थ्य 63, लोक निर्माण 52, राजस्व 49, स्कूल शिक्षा 42, सहकारिता 42, पंचायत 39, कृषि 35, वन 33, सामान्य प्रशासन 20, उच्च शिक्षा 18, जल संसाधन 17, उद्यानिकी 15, परिवहन 10 और खाद विभाग के 10 आश्वासन लंबित हैं।