नई दिल्ली: दो संगठन मंत्रियों के प्रबंधन ने दिल्ली के सिर बांधा जीत का सेहरा
दिल्ली भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा और केंद्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष
दीपक उपाध्याय, नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पहले तक जिस आम आदमी पार्टी को हराना भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत मुश्किल लग रहा था, वो नजीतों में बिलकुल उलट गया। बेशक इसके लिए बहुत सारे कारण गिनाए जा रहे हों, लेकिन जिस 2 प्रतिशत वोट के अंतर की वजह से दिल्ली में भाजपा सरकार बनने जा रही है, उसके पीछे दिल्ली भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा और केंद्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को बहुत बड़ा योगदान है।
चूंकि इससे पहले वाले चुनावों में प्रदेश की टीम कुछ खेमों में बंटी रहती थी, लेकिन इस बार पहले दिन से ही दिल्ली प्रदेश के संगठन मंत्री पवन राणा ने सारी प्रदेश टीम को एक साथ लेकर काम करना शुरु किया और बिना किसी लाग लपेट के सभी को बराबरी का दर्जा देकर जिम्मेदारी दी।
इसके साथ ही टिकट बंटवारे के समय भी सर्वे और स्थानीय मंडल के साथ साथ जिला प्रचारकों की राय के हिसाब से जीतने वाले उम्मीदवारों को ही टिकट दिया गया। जिस मुस्तफाबाद सीट पर मोहन सिंह बिष्ट को सीट बदलकर लड़ाया गया था, वहां बिष्ट को सभी तरह के साधन उपलब्ध कराए गए, ताकि उनके जीतने में कोई संश्य ना रहे।
प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को चुनाव ना लड़ाकर, संगठन को ही साधने और चुनावी योजनाओं को अमल करने में लगाया गया था।
इस बार के चुनाव में दिल्ली प्रदेश की टीम के साथ साथ केंद्र भाजपा ने भी कई जिम्मेदारियां अपने हाथ में ली हुई थी। पार्टी के प्रारंभिक सर्वे खुद केंद्रीय भाजपा की टीम देख रही थी। जिसमें दिल्ली प्रदेश के कुछ नेता सीधे केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष को रिपोर्ट कर रहे थे। इस चाक चौबंद प्रबंधन की वजह से टिकट बंटवारा बहुत बेहतर तरीके से हुआ। जिससे पार्टी खेमों में नहीं बंटी और पूरे प्रदेश ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा।
पार्टी ने अंतिम 15 दिनों में अपना पूरा ध्यान 52 सीटों पर ही केंद्रित कर दिया था। इनके एक एक बूथ और उनपर वोटरों को सीधे संपर्क साधा गया था। इसके साथ साथ विपक्षी दलों के प्रबंधन पर भी विशेष नज़र रखी गई थी, ताकि समय रहते उसका जवाब भी तैयार किया जा सके। इसी कड़े चुनावी प्रबंधन वजह से आम आदमी पार्टी के झुग्गियों के वोटर कांग्रेस में भी बंट गए और मध्यवर्गीय वोटर भारतीय जनता पार्टी के लिए खुलकर वोट करने निकले थे।