ब्राह्मण - वैश्य दावेदारों ने शिवपुरी में फंसाया वीरेंद्र रघुवंशी का टिकट !

यशोधरा राजे सिंधिया के हटते ही शिवपुरी विधानसभा में बदले समीकरण

Update: 2023-10-10 21:15 GMT

ग्वालियर/चुनाव डेस्क। शिवपुरी सीट पर कांग्रेस निर्णय नहीं कर पा रही है कि प्रत्याशी किसे बनाया जाए। यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लडऩे से इनकार क्या किया कांग्रेस की पूरी फील्डिंग ही तितर-बितर हो गई। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी को इस योजना से पार्टी में शामिल किया था कि वह यशोधरा राजे के सामने टक्कर देंगे, लेकिन अब यशोधरा राजे के मैदान से हटते ही पूरी पार्टी वीरेंद्र रघुवंशी की खिलाफत में आकर खड़ी हो गई है।

सूत्र बताते है कि स्क्रीनिंग कमेटी में शिवपुरी का टिकट होल्ड कर दिया गया है। केपी सिंह इस पूरी कवायद को लीड कर रहे हैं। वीरेंद्र रघुवंशी का टिकट होल्ड इसलिए भी किया गया है क्योंकि अब पार्टी जातिगत समीकरण को भी साधने पर विचार कर रही है। यशोधरा राजे के सामने रघुवंशी को लेकर जातिगत फैक्टर काम नहीं कर रहा था क्योंकि दोनों जातिगत समीकरण से परे चुनाव में होते। शिवपुरी की सीट ब्राह्मण, वैश्य, लोधी, आदिवासी बाहुल्य है और कांग्रेस ने जिले की चार अनारक्षित सीट्स पर जो उम्मीदवार तय करने का मन बनाया है उसमें पिछोर से केपी सिंह को छोड़कर पोहरी, कोलारस में पिछड़ी जातियों को साधा है।


ऐसे में ब्राह्मण और वैश्य वोटरों की लामबन्दी के लिए अब उसके पास केवल शिवपुरी की सीट ही बच रही है। वीरेंद्र रघुवंशी के जरिए पार्टी इन सवर्ण वोटरों में कोई मैसेज नहीं दे पाएगी इसलिए पार्टी के सभी बड़े नेता अब केपी सिंह पर दबाव बना रहे हैं कि शिवपुरी से किसी ब्राह्मण या वैश्य उम्मीदवार पर दांव खेला जाए। 

खुल सकती है लॉटरी

अगर वीरेंद्र रघुवंशी को पार्टी टिकट से किनारा करती है तो उसे किसी बड़े जातीय नुकसान की चिंता नहीं है क्योंकि जिले में इस जाति के वोटरों की संख्या कोलारस को छोड़कर नगण्य प्राय: है। पार्टी में इस समय वैश्य जाति के तीन प्रबल दावेदार टिकट की लाइन में है। राकेश गुप्ता, जिनेश जैन एवं जितेंद्र जैन गोटू, वहीं ब्राह्मण वर्ग से पूर्व विधायक गणेश गौतम और हरिवल्लभ शुक्ला के पुत्र आलोक शुक्ला टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। राकेश गुप्ता सिंधिया को छोड़कर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। उनके पिता 1993 में शिवपुरी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। जिनेश जैन के काका शीतल जैन भी दिग्गज कांग्रेसी रहे हैं। पिछोर विधायक केपी सिंह का उनको समर्थन हैं। जितेंद्र जैन गोटू भाजपा छोड़कर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं वह जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं और पूर्व विधायक देवेंद्र जैन के भाई है। गणेश गौतम 1980 से 1990 तक शिवपुरी से विधायक रहे हैं। सशक्त ब्राह्मण चेहरा है, लेकिन वह 4 चुनाव इसी विधानसभा से हार चुके हैं। पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला अपने बेटे आलोक को शिवपुरी से टिकट दिलाना चाहते हैं।

पूर्व नपाध्यक्ष एपीएस चौहान भी एक दावेदार हैं उनका परिवार खोड़ ग्रामीण क्षेत्र में प्रभावशाली है और नगरीय क्षेत्र में भी वह दशकों से सक्रिय हैं। कांग्रेस की मजबूरी यह हो गई है कि उसके दावेदार ब्राह्मण और वैश्य वर्ग से खंभ ठोक रहे हैं, इन दोनों बिरादरियों के वोट इस विधानसभा में बहुतायत हैं। शिवपुरी के अलावा करैरा, पोहरी, कोलारस, पिछोर में भी इस वर्ग का प्रभुत्व अभी कम ज्यादा बना हुआ है। इन परिस्थितियों में वीरेंद्र रघुवंशी को लेकर कांग्रेस में निर्णय का मसला फंसता हुआ दिख रहा है। केवल दलबदल ही नहीं जातीय समीकरण के लिहाज से भी वीरेंद्र रघुवंशी की कांग्रेस से उम्मीदवारी अब गले की फांस बन गई है।

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