सौम्या स्वामीनाथन को हिजाब की अनिवार्यता स्वीकार नहीं, शतरंज प्रतियोगिता से नाम लिया वापस

Update: 2018-06-15 08:38 GMT

नई दिल्ली। ग्रैंड मास्टर सौम्या स्वामीनाथन ने ईरान में अगले महीने होने जा रही एशियाई राष्ट्रीय शतरंज कप प्रतियोगिता में हिजाब या स्कार्फ पहने की अनिवार्यता के चलते अपना नाम वापस ले लिया है। सौम्या ने अर्जेंटीना में 2009 में हुई लड़कियों की विश्व जूनियर चैंपियनशिप जीती थी। सौम्या ने अपने फेसबुक पर ईरानी सरकार के नियम के खिलाफ पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा है कि अनिवार्य तौर पर हिजाब पहनना मनुष्य होने के नाते उनके बुनियादी अधिकारों के खिलाफ है। अपने फेसबुक पोस्ट पर सौम्या ने लिखा है, ''मैं जबरन हिजाब या बुर्क़ा नहीं पहनना चाहती हूं। मुझे हिजाब की अनिवार्यता का ईरानी कानून बुनियादी मानवाधिकारों का प्रत्यक्ष उल्लंघन दिखाई देता है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और विचार, विवेक और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार शामिल है। ऐसा लगता है कि वर्तमान परिस्थितियों में मेरे अधिकारों की रक्षा करने का एकमात्र तरीका ईरान नहीं जाना है।'' 

यह प्रतियोगिता 26 जुलाई से 4 अगस्त के बीच ईरान के हमदान में होना है। 29 वर्षीय सौम्या महिला रैंकिंग में दुनिया में 97वें स्थान पर हैं। उन्होंने इसको लेकर आयोजकों पर भी सवाल उठाए हैं । उनका कहना है कि खिलाड़ियों की इच्छा का ध्यान नहीं रखा जाता है। उन्होंने लिखा, ''मैं समझती हूं कि आयोजक को चैंपियनशिप के दौरान खेल के लिए राष्ट्रीय टीम की पोशाक या औपचारिक पोशाक या खेल पोशाक पहनने की अपेक्षा होती है, लेकिन निश्चित रूप से खेल में लागू करने योग्य धार्मिक ड्रेस कोड के लिए कोई जगह नहीं है।'' सौम्या स्वामीनाथन के फैसले का सोशल मीडिया में स्वागत होना शुरू हो गया है। क्रिकेटर मोहम्मद कैफ का कहना है कि ईरान के टूर्नामेंट से खुद को अलग करने के लिए वह सौम्या स्वामीनाथन को 'सलाम' करते हैं। खिलाड़ियों पर धार्मिक ड्रेस कोड नहीं लगाया जाना चाहिए। एक मेजबान राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के पालन में विफल होने पर अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 
वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त लिखती हैं कि वह सौम्या स्वामीनाथन से पूरी तरह सहमत है। उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार कपड़े पहनने का अधिकार है। महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू करना पुराने जमाने की सोच है। शूटर हिना सिंधू ने भी कहा है कि खेलों को भेदभाव से दूर रखने के लिए सौम्या ने सही काम किया है।

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