मणिपुर में बड़े स्तर पर तलाशी अभियान शुरू, सेना दे सकती है बड़े ऑपरेशन को अंजाम

Update: 2021-11-15 09:32 GMT

इंफाल। मणिपुर में उग्रवादियों के सुनियोजित हमले ने भारतीय सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। भारी हथियारों से लैस विद्रोही समूह के सुनियोजित और सटीक हमले के बाद भारतीय सेना म्यांमार बॉर्डर पर पड़ने वाले जंगलों में बड़े ऑपरेशन करने की तैयारी में है। अर्ध सैनिक बल असम रायफल्स के साथ सेना ने उन घने जंगलों में काम्बिंग शुरू कर दी है जहां शनिवार को हमला हुआ था। इस हमले की जिम्मेदारी दो उग्रवादी समूहों पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट ने ली है। यानी चीन ही नहीं, मणिपुर में भी 'पीएलए' है जिसके तार चीनी सेना से जुड़े हैं। 

देश के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल्स के चार कर्मियों के अलावा कमांडिंग अफसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी अनुजा और बेटे अबीर की मौत हो गई थी। असम रायफल्स का गठन 1835 में कछार लेवी के नाम से किया गया था जिसका कार्य उस समय जनजातीय लोगों से ब्रिटिश बस्तियां और चाय बागानों की सुरक्षा करना था। 1971 में इसका नाम बदलकर असम रायफल्स रख दिया गया। भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही का समझौता है जिसके तहत सीमावर्ती इलाकों के लोग एक परमिट के आधार पर एक-दूसरे देश की सीमा में 16 किमी. तक भीतर आ जा सकते हैं। सीमा के दस किमी. के दायरे में 250 से ज्यादा गांव हैं जिनमें तीन लाख से ज्यादा की आबादी रहती है। 

हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी - 

म्यांमार सीमा पर तैनात असम रायफल्स को बिना वैध पासपोर्ट और वीजा के म्यांमार से किसी को भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं करने के साफ निर्देश दिए गए हैं। म्यांमार में चुनी हुई सरकार के रहने तक भारतीय सैन्य बलों के साथ संयुक्त अभियान सफलतापूर्वक चलता रहा लेकिन वहां तख्तापलट के बाद सीमा पार से परमिट के आधार पर सैकड़ों की संख्या में लोग मिजोरम के सीमावर्ती इलाकों में आ रहे हैं। इसी के साथ चीन से म्यांमार के रास्ते हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी भी बढ़ी है। म्यांमार से आ रहे अवैध चीनी निर्मित हथियार भारतीय विद्रोही समूहों तक पहुंच रहे हैं। भारतीय और म्यांमार की सेनाएं अपनी 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर उग्रवादियों को खदेड़ने के लिए नियमित रूप से समन्वित अभियान चला रही हैं। 

पिछले कुछ वर्षों में मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और असम के बड़े हिस्से में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में सुधार के साथ सेना ने धीरे-धीरे 14 से अधिक पैदल सेना बटालियनों के साथ-साथ दो डिवीजन मुख्यालयों को आतंकवाद विरोधी अभियानों से हटा दिया है। इन क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियानों को असम राइफल्स ने अपने कब्जे में ले लिया है, जो सेना के संचालन नियंत्रण में है। हाल ही में म्यांमार सीमा पर भारत के सहयोग से उग्रवादियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन शुरू किया गया था, जिसकी जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को भी दी गई थी। शनिवार को मणिपुर में उग्रवादियों के सुनियोजित हमले ने भारतीय सुरक्षा में खतरे की घंटी बजा दी है। 

इस हमले की जिम्मेदारी दो उग्रवादी समूहों पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट ने ली है। यानी चीन ही नहीं, मणिपुर में भी 'पीएलए' है जिसके तार चीनी सेना से जुड़े हैं। मणिपुर की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का गठन 1978 में किया गया था। इसे भारत सरकार ने आतंकी संगठन घोषित किया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि सुनियोजित तरीके से किये गए इस सटीक हमले में भारी हथियारों से लैस विद्रोही समूह के एक दर्जन से ज्यादा सदस्य शामिल थे। भारतीय सेना म्यांमार बॉर्डर पर पड़ने वाले जंगलों में बड़े ऑपरेशन करने की तैयारी में है। अर्ध सैनिक बल असम रायफल्स के साथ सेना ने उन घने जंगलों में काम्बिंग शुरू कर दी है जहां शनिवार को हमला हुआ था। सेना ने पूरे इलाके को घेरकर रखा है और उग्रवादियों को जिन्दा पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है। 

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