महाकुंभ 2025: महाकुंभ की आस्था और इतिहास से जुड़े अद्भुत तथ्य जो हर श्रध्‍दालु को जरूर जानने चाहिए…

Update: 2025-01-07 08:44 GMT

महाकुंभ भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का सबसे भव्य पर्व है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह महोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और आध्यात्मिकता का एक विशाल संगम है।

2025 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होने जा रहा है। इस मौके पर संगम में स्नान को पापों के शुद्धिकरण और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।

यहां जानिए महाकुंभ से जुड़े 10 अद्भुत और कम चर्चित तथ्य जो आपको हैरान कर देंगे:

1. खगोलीय स्थिति तय करती है महाकुंभ की तिथि

महाकुंभ की तिथियां बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा की राशियों में स्थिति के अनुसार तय होती हैं। इन ग्रहों की स्थिति नदियों में अमृत समान ऊर्जा का संचार करती है।

2. चार पवित्र स्थलों का चक्र

महाकुंभ का आयोजन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में बारी-बारी से होता है। हर स्थान पर यह आयोजन हर 12 साल में होता है, जो एक पूर्ण चक्र को पूरा करता है।

3. अमृत की बूंदों से जुड़ा है इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और दानवों के बीच अमृत कलश के लिए हुए समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें इन चार स्थानों पर गिरीं, जिससे ये स्थान पवित्र हो गए।

4. सबसे बड़ा जनसमूह

2013 में प्रयागराज में हुए महाकुंभ मेले में 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जिससे इसे "दुनिया का सबसे बड़ा जनसमूह" कहा गया।

5. दो हजार साल पुराना इतिहास

महाकुंभ का पहला लिखित उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग के वर्णन में मिलता है, जब वह राजा हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आए थे।

6. अर्थव्यवस्था में योगदान

2013 के महाकुंभ मेले से लगभग 12,000 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न हुआ और 6.5 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए।

7. साधुओं की अनोखी परंपराएं

महाकुंभ में विभिन्न संप्रदायों के साधु आते हैं, जिनमें नागा साधु, जो वस्त्र का त्याग करते हैं, और कल्पवासी, जो प्रतिदिन तीन बार स्नान करते हैं, प्रमुख हैं।

8. 12 दिव्य दिन का प्रतीक

पौराणिक कथा के अनुसार, अमृत के लिए देवताओं और दानवों के बीच 12 दिव्य दिन तक संघर्ष चला, जो पृथ्वी के 12 वर्षों के बराबर है। यह महाकुंभ की 12 साल की आवृत्ति को दर्शाता है।

9. मोक्ष प्राप्ति का अवसर

श्रद्धालु मानते हैं कि महाकुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

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