स्वदेश विशेष: जनजातीय इलाकों में दिव्यांग बच्चों का मसीहा है यह डॉक्टर, जानिए प्रमोद नीमा की कहानी...

Update: 2025-03-25 17:04 GMT
जनजातीय इलाकों में दिव्यांग बच्चों का मसीहा है यह डॉक्टर, जानिए प्रमोद नीमा की कहानी...
  • whatsapp icon

स्वदेश विशेष : मध्य प्रदेश के जनजातीय इलाकों में एक प्रेरक पहल देखने को मिली, जिसने शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चों के जीवन में नई रोशनी भर दी। यह बदलाव किसी चमत्कार से कम नहीं था, क्योंकि इससे न केवल इन बच्चों को सहारा मिला, बल्कि वे आत्मनिर्भर बनने की राह पर भी आगे बढ़ने लगे। इसके पीछे एक समर्पित व्यक्ति का दृढ़ संकल्प और एक संस्था का अथक प्रयास था, जिसने इन मासूम बच्चों को हंसने, खेलने और सपने देखने का हक दिलाया। जब संघ की प्रतिनिधि सभा अरुण कुमार ने प्रतिनिधि सभा में इस पहल का उल्लेख किया, तो यह कहानी पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गई। आइए इस अनूठी यात्रा को करीब से जानें।

डॉक्टर प्रमोद नीमा का संकल्प

यह कहानी है ऑर्थो सर्जन डॉ. प्रमोद नीमा की, जो पिछले 25 सालों से निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहे हैं। वे खासकर इंदौर से सटे आदिवासी इलाकों में मुफ्त चिकित्सा सेवा मुहैया कराते रहे हैं। शुरुआत में वे जनरल मेडिसिन में एमडी करने की ओर बढ़े, लेकिन जब वे आदिवासी इलाकों में पहुंचे तो वहां की हकीकत ने उनका मन बदल दिया। उन्होंने देखा कि इन इलाकों में पैदा होने वाले बच्चों में विकलांगता की समस्या आम है, जो उनके लिए गहरी चिंता का विषय बन गया। इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने ऑर्थोपेडिक सर्जरी में मास्टर डिग्री हासिल करने का फैसला किया और तब से वे इन बच्चों को नई जिंदगी देने के अपने संकल्प पर अडिग हैं।

28000 से अधिक सर्जरी और आरोग्य भारती का सहयोग

1991 से 2025 के बीच डॉ. प्रमोद नीमा ने करीब 28,000 बच्चों की सर्जरी की है। ये सभी ऑपरेशन निःशुल्क किए गए हैं। लेकिन अकेले इस सफर को पूरा करना आसान नहीं था। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन आरोग्य भारती ने उनका साथ दिया, जिससे इस अभियान को और गति मिली। डॉ. नीमा ने इस सेवा कार्य को अपनी नियति माना और कहा, "जिस तरह पारस पत्थर लोहे को सोने में बदल देता है, उसी तरह आरोग्य भारती ने मेरे प्रयासों को नई दिशा दी।" उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने हजारों बच्चों के जीवन में रोशनी भर दी।

झाबुआ जिले में विकलांग बच्चों के लिए नई उम्मीद

संघ की प्रतिनिधि सभा में अरुण कुमार ने झाबुआ जिले के बच्चों का जिक्र करते हुए कहा कि आरोग्य भारती के माध्यम से जन्मजात दिव्यांग बच्चों की सर्जरी कर उन्हें सामान्य जीवन जीने का अवसर दिया जा रहा है। संघ के कार्यकर्ता जब झाबुआ जिले में संपर्क अभियान पर निकले तो उन्होंने कई ऐसे गांवों की पहचान की जहां दिव्यांगता एक गंभीर समस्या थी। कई बच्चे जन्म से ही हाथ-पैरों की विकृति से पीड़ित थे, जिसके कारण उनका बचपन कठिनाइयों से घिरा हुआ था। इस पहल के माध्यम से इन बच्चों को न केवल शारीरिक रूप से सक्षम बनाया जा रहा है, बल्कि उनके जीवन में नई आशा और आत्मविश्वास भी भर रहा है।

संघ के प्रयासों से इन बच्चों की पहचान कर उन्हें आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, जिससे उनके जीवन में बदलाव की नई रोशनी आई। पिछले चार वर्षों में 500 से अधिक बच्चों की सफल सर्जरी कर उन्हें नया जीवन दिया गया, जहां वे अब बिना किसी बाधा के सामान्य जीवन जी पा रहे हैं। यह पहल केवल चिकित्सा सहायता तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इन बच्चों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

निशुल्क चिकित्सा सेवाएँ और विशेष प्रयास

डॉ. प्रमोद नीमा ने आरोग्य भारती के सहयोग से अब तक 1 लाख से अधिक बच्चों की निशुल्क जांच की है, जिनमें से 28,000 से अधिक बच्चों का सफल ऑपरेशन किया गया। इनमें 13,400 से अधिक घुटनों के ऑपरेशन भी शामिल हैं, जिससे सैकड़ों बच्चों को नया जीवन मिला। उन्होंने न केवल जन्मजात विकलांगता से पीड़ित बच्चों की मदद की, बल्कि कुष्ठ रोगियों के निशुल्क ऑपरेशन और पुनर्वास के लिए भी विशेष प्रयास किए। 

पोलियो उन्मूलन अभियान के तहत उन्होंने हजारों बच्चों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई। इसके अलावा, हर साल करीब 108 जरूरतमंद बुजुर्गों के घुटनों और जोड़ों का ऑपरेशन कर उन्हें दर्द मुक्त जीवन दिया जाता है। उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

संघ के इस सामाजिक सेवा प्रकल्प ने हजारों दिव्यांग बच्चों को नई जिंदगी दी है। डॉक्टर प्रमोद नीमा और आरोग्य भारती का यह योगदान न केवल जनजातीय क्षेत्रों में बदलाव ला रहा है, बल्कि यह एक मिसाल भी बन चुका है। इस पहल से न सिर्फ दिव्यांग बच्चों को नया जीवन मिला, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैली कि चिकित्सा सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती।

संघ के इस सामाजिक सेवा प्रकल्प ने हजारों दिव्यांग बच्चों को नया जीवन देने के साथ-साथ उनके सपनों को भी पंख लगाए हैं। डॉक्टर प्रमोद नीमा और आरोग्य भारती का यह समर्पित प्रयास जनजातीय क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला रहा है और सेवा की एक मिसाल कायम कर चुका है। इस पहल ने न केवल बच्चों को शारीरिक रूप से सक्षम बनाया, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि सच्ची मानवता दूसरों के जीवन में रोशनी लाने में ही है।

Tags:    

Similar News