Kewai Hasdev River Project: केवई नदी परियोजना में तकनीकी आपत्ति, 115 करोड़ रुपये की लागत वाली जल योजना पर रोक

Kewai Hasdev River Project
Kewai Hasdev River Link Project : मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ से निकलकर मध्य प्रदेश में बहने वाली केवई नदी (Kewai River) को नहर बनाकर हसदेव नदी (Hasdev River) से जोड़ने की 115 करोड़ रुपये की लागत से तैयार जल परियोजना पर रोक लग गई है। जानकारी के अनुसार, तकनीकी आपत्ति लगाकर फाइल लौटाई गई है।
जानकारी के अनुसार अब इस तकनीकी कमी को दूर कर नए सिरे से प्रोजेक्ट फाइल बनाने की तैयारी की जा रही है। इस परियोजना को मंजूरी मिलने पर मनेंद्रगढ़ सहित चार नगर पंचायतों को अगले 40 वर्षों तक भरपूर पेयजल की आपूर्ति होगी, वहीं कोरबा स्थित बांगो परियोजना को भी पानी मिलने की संभावना है।
साथ ही कोरबा जिले में स्थित बांगो परियोजना को भी पानी उपलब्ध हो सकेगा, जिससे क्षेत्र में सिंचाई और औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। जल संसाधन विभाग अब तकनीकी कमियों को दूर कर नए सिरे से प्रोजेक्ट फाइल तैयार करने की योजना बना रहा है।
क्या है केवई नदी लिंक परियोजना
केवई नदी छत्तीसगढ़ के अविभाजित कोरिया जिले (अब एमसीबी जिला) के मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम बैरागी की पहाड़ियों से निकलती है और मध्य प्रदेश की ओर बहती है। यह क्षेत्र सघन वन और पहाड़ी जलग्रहण क्षेत्र होने के कारण बारहमासी जल प्रवाह वाला है। केवई नदी छत्तीसगढ़ में लगभग 39 किलोमीटर तक बहती है और इसका जलग्रहण क्षेत्र 459.34 वर्ग किलोमीटर है। प्रस्तावित परियोजना स्थल पर इस नदी की लंबाई 21 किलोमीटर है, और इसका जलग्रहण क्षेत्र 147.25 वर्ग किलोमीटर है। शेष 18 किलोमीटर हिस्से को निस्तार के लिए सुरक्षित रखा गया है।
इस परियोजना के तहत केवई नदी को ग्राम ताराबहरा के निकट एक स्टॉपडेम कम रपटा बनाकर लिंक नहर के जरिए हसदेव नदी के कैचमेंट एरिया में ग्राम रतौरा से जोड़ा जाना प्रस्तावित है। परियोजना की अनुमानित लागत 11449.89 लाख रुपये (लगभग 115 करोड़ रुपये) है। यह योजना 2017-18 के बजट में शामिल की गई थी और 2018-19 में इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था। हालांकि, तकनीकी खामियों के चलते राज्य सरकार ने इसकी फाइल लौ 2024 तकनीकी आपत्ति के कारण लौटा दी गई है।
हर महीने 0.231 मिलियन घन मीटर पानी छोड़ा जाएगा हसदेव नदी में
इस परियोजना के तहत, डायवर्जन वेयर बनाकर लगभग 51 किलोमीटर लंबी नहर या पाइपलाइन के माध्यम से हर महीने 0.231 मिलियन घन मीटर पानी हसदेव नदी में छोड़ा जाएगा। इससे मनेंद्रगढ़ के पांच गांवों- रोकड़ा, लोहारी, महाई, मटुकपुर और पुटाडांड- की करीब 500 हेक्टेयर (1235 एकड़) कृषि भूमि को लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम के जरिए सिंचाई सुविधा मिलेगी।
इसके अलावा, हसदेव नदी में पानी की उपलब्धता बढ़ने से मनेंद्रगढ़-झगराखांड आवर्धन जल प्रदाय योजना को मजबूती मिलेगी, जो वर्तमान में हसदेव नदी से पेयजल आपूर्ति के लिए संचालित है। साथ ही, नगर पंचायत नई लेदरी और खोंगापानी को भी हसदेव नदी से पेयजल आपूर्ति का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
जल संसाधन विभाग के अनुसार, केवई नदी के 45 वर्ग किलोमीटर जलग्रहण क्षेत्र का 15-20 क्यूसेक पानी और बारहमासी प्रवाह का 1-2 क्यूसेक पानी मध्य प्रदेश चला जाता है। इस पानी का उपयोग अब छत्तीसगढ़ में ही सिंचाई और निस्तार के लिए किया जा सकेगा। यह परियोजना क्षेत्र में पेयजल संकट को कम करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
तकनीकी आपत्ति
हालांकि, इस परियोजना की फाइल को तकनीकी आपत्तियों के कारण लौटा दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि परियोजना में जल प्रवाह की गणना, नहर की डिजाइन और पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन ठीक से नहीं किया गया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के साथ जल बंटवारे को लेकर भी कुछ अस्पष्टताएं हैं, क्योंकि केवई नदी दोनों राज्यों से होकर बहती है। जल संसाधन विभाग अब इन कमियों को दूर करने के लिए नए सिरे से प्रोजेक्ट फाइल तैयार कर रहा है। विभाग का दावा है कि तकनीकी सुधारों के बाद यह परियोजना जल्द ही मंजूरी के लिए प्रस्तुत की जाएगी।
इस परियोजना के पूरा होने से मनेंद्रगढ़ और आसपास की चार नगर पंचायतों को अगले 40 वर्षों तक पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। कोरबा जिले की बांगो परियोजना को भी पानी मिलने से वहां की औद्योगिक और सिंचाई जरूरतें पूरी हो सकेंगी।
यह परियोजना स्थानीय किसानों के लिए भी वरदान साबित होगी, क्योंकि 500 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी। हालांकि, मध्य प्रदेश के साथ जल बंटवारे को लेकर सहमति बनाना एक चुनौती हो सकता है, क्योंकि दोनों राज्यों के बीच पहले भी जल संसाधनों को लेकर विवाद रहे हैं।
नदियों को जोड़ने की राष्ट्रीय नीति का हिस्सा
केवई-हसदेव नदी लिंक परियोजना भारत में नदियों को जोड़ने की राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करना है। हाल ही में, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना की आधारशिला रखी गई है, जिसकी लागत 44,605 करोड़ रुपये है। यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी को दूर करने के लिए शुरू की गई है।
इसी तरह बिहार में कोसी-मेची नदी लिंक परियोजना पर भी काम चल रहा है। हालांकि, इन परियोजनाओं को पर्यावरणीय प्रभावों और विस्थापन जैसे मुद्दों के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी परियोजनाओं में पारदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जरूरत है ताकि दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित हो सकें।