आगरा। रामायण यानि श्रीराम कथा! सिर्फ और सिर्फ श्री राम के इर्दगिर्द घूमती है इसमें बेशक पूरी कहानी। लेकिन इस कहानी का एक और भी अहम हिस्सा है माता सीता। उसकी व्यथा को अपनी कथा के केंद्र में कुछ अलग हटकर लिया है, मशहूर लेखिका चित्रा बैनर्जी दिवाकरूनी ने, जिसमें उसकी दर्दभरी प्रेमकथा के साथ साथ उसके साथ हुए अन्याय और उसको मिली सामाजिक मान्यता पर सवाल खड़े करती है चित्रा जी की लेखनी। न सिर्फ सवाल खड़े करती है बल्कि सोचने और उस पर बहस करने को भी मजबूर करती है। तथाकथित बुरी औरतों के बारे में भी उन्होंने वास्तविकता के धरातल पर उनकी मजबूरियों को समझते हुए और उनके नारी सुलभ नैसर्गिक कार्य व्यवहार पर भी नए नजरिये से सबको सोचने को मजबूर करने वाली चर्चा की है।
नारी के विविध स्वरूपों को उन्होंने इन पात्रों के जरिये व्याख्यायित किया है अपनी इस पुस्तक फॉरेस्ट ऑफ एनचंटमेंट्स में, यही पुस्तक चर्चा के केंद्र में रही आगरा बुक क्लब की इस फरवरी माह की बैठक में। इस बासंती माह में प्रेमकथा को अपने अलहदा से अंदाज में समझने का प्रयास किया साहित्यप्रेमियों ने। 16 फरवरी की शाम क्लब की सदस्या मीनू खंडेलवाल के विजय नगर कॉलोनी स्थित निवास के लॉन में आयोजित इस बसंत थीम बैठक में सभी सदस्य बासंती परिधानों में इस साहित्यिक गुफ्तगू का सर्द मौसम में गर्म चाय के साथ आनंद लेते दिखे। पुरुष प्रधान समाज के सोचने समझने के तौर तरीकों पर भी इसमें चर्चा करते हुए नारी की असल व्यथा को पूरी शिद्दत के साथ महसूस कर अपने विचार रखे गए। नारी के मौलिक अधिकारों और उसके नैसर्गिक व्यवहार को भी इसमें शामिल कर बिल्कुल अलग नजरिये से इस कथा को समझने समझाने का प्रयास किया गया। चित्रा बैनर्जी की इस पुरस्कृत कृति का 29 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस बैठक की मॉडरेटर खुद मीनू खंडेलवाल ने सभी का शुरुआत में स्वागत किया। लेखक का परिचय अंजली कौशल ने दिया। पुस्तक पर क्लब की संस्थापक डॉ. शिवानी ने प्रकाश डाला। पैनल डिस्कशन में डॉ. वशिनी शर्मा, डॉ.रंजना मेहरोत्रा, रेखा कपूर, मीनू, डॉ. अंजली गुप्ता और मोनिका सिंह शामिल रहीं। प्राची जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए हमारे अमर सैनिकों को भी सभी साहित्यप्रेमियों ने दो मिनट का मौन रखकर अपनी श्रद्धांजलि दी।