आठ साल में बारह आईएएस अधिकारियों पर गिरी गाज: भ्रष्टाचार पर सीएम योगी सख्त, अब तक 12 आईएएस अधिकारियों को किया निलंबित…

अतुल मोहन सिंह, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ताकतवर समझे जाने वाले आईएएस पर हाथ डालने से सरकारें बचती थीं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन आईएएस अधिकारियों पर हाथ डालने से बिल्कुल गुरेज नहीं किया, जो भ्रष्टाचार में शामिल थे।
आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सीएम ने गुरुवार को निलंबित कर दिया। 2006 बैच के आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश सचिव औद्योगिक विकास विभाग व इन्वेस्ट यूपी के सीईओ हैं।
अभिषेक प्रकाश के पास इस समय महत्वपूर्ण विभाग है। अभिषेक प्रकाश पर हुई कार्रवाई से प्रशासनिक महकमे में जबरदस्त हड़कंप मचा है।
योगी सरकार के आठ साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के मामले में अब तक लगभग 12 आईएएस अधिकारियों को निलंबित किया है। घनश्याम सिंह, देवी शरण उपाध्याय, टीके शीबू, सुनील वर्मा, देवेन्द्र पांडेय, अमर नाथ उपाध्याय, केदार सिंह, प्रेम प्रकाश सिंह, शारदा सिंह, जितेंद्र बहादुर सिंह, कुमार प्रशांत और अभिषेक प्रकाश हैं। अलीगढ़ में साल 2024 में 35 भूखंडों के पट्टे मनमाने तरीके से बहाल करने का मामला सामने आया था।
इसमें 2012 बैच के आईएएस अधिकारी देवी शरण उपाध्याय का नाम भ्रष्टाचार को लेकर सामने आया, इसके बाद देवी शरण उपाध्याय को निलंबित कर दिया गया। साल 2022 में सोनभद्र के डीएम टीके शिबू को निलंबित किया गया था। पद का दुरुपयोग करने के मामले में औरैया के डीएम सुनील कुमार वर्मा को निलंबित किया गया था। हालांकि इन दोनों अधिकारियों को अब बहाल कर दिया गया है।
उन्नाव में डीएम रहे देवेंद्र कुमार पांडेय पर शिक्षा विभाग में हुई खरीद में अनियमितता के आरोप लगे। महाराजगंज के डीएम अमरनाथ उपाध्याय को गो सरंक्षण में धांधली के आरोप में निलंबित किया गया, केदारनाथ सिंह को पर्यटन विभाग में रहते हुए और शारदा सिंह को भी ओबीसी कोटे पर भर्ती नहीं करने के आरोप में निलंबित किया गया। साल 2018 में अनाज घोटाले में डीएम रहते हुए जितेंद्र बहादुर सिंह और सरकारी गेहूं खरीद में गड़बड़ी के आरोप में फतेहपुर के डीएम रहते हुए कुमार प्रशांत को निलंबित किया गया था। गोरखपुर शहर की सफाई-व्यवस्था में सुधार न होने और सफाई कर्मियों के आए दिन होते उग्र आंदोलन से नाराज सीएम योगी ने नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश सिंह को निलंबित कर दिया था।
नगर आयुक्त को निलंबित करने के साथ उनका चार्ज डीएम को दे दिया गया था। इस मामले की जांच कमिश्नर को सौंपी गई। नगर आयुक्त पर बिना काम कराए ठेकेदारों को लाखों रुपए पेमेंट करने का भी आरोप लगा। इन तमाम बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई कर सीएम योगी ने ये संदेश दिया है कि करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की नीति लागू रहेगी और भ्रष्टाचार करने वाले चाहे कितने भी ताकतवर क्यों न हो उन पर कार्रवाई होगी।