लखनऊ। इत्र और इतिहास के लिए मशहूर कन्नौज शहर को सपा का गढ़ कहा जाता था परंतु 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने पुराने सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए एक नए चेहरे आईपीएस अधिकारी से राजनीतिक में कदम रखने वाले असीम अरुण को चुनाव मैदान में उतारा । असीम अरुण ने अर्जुन की भूमिका निभाते हुए सपा के अवैध किला कन्नौज सदर की सीट पर विजय परचम लहरा कर भाजपा को पिछले तीन चुनावों से मिली हार का सूखा खत्म करते हुए भगवा परचम लहराया। 2017 के चुनाव में भाजपा ने तिर्वा और छिबरामऊ सीट पर तो विजय प्राप्त कर ली परंतु इस मोदी लहर में भी सपा ने सदर सीट बचाने में कामयाबी हासिल कर ली थी परंतु 2022 के चुनाव में आईपीएस से राजनेता बने असीम अरुण को भाजपा ने मैदान में उतारा और उन्होंने तीन बार के विधायक अनिल दोहरे को शिकस्त देकर सपा के किले को ध्वस्त कर दिया।
असीम अरुण का संक्षिप्त परिचय -
1994 बैच के आईपीएस अधिकारी असीम अरुण का जन्म 3 अक्टूबर 1970 को कन्नौज जिले के ठठिया थाना क्षेत्र के कगार नगर में हुआ था। उनके पिता श्रीराम अरुण भी एक आईपीएस ऑफिसर थे। वे मायावती के शासन काल में उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे। उनकी माता शशि अरुण जानी-मानी लेखिका और समाजसेविका हैं। असीम ने अपनी शुरुआती शिक्षा लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल से ग्रहण की, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की। वे संयुक्त उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एसपी तैनात रहे। उन्होंने टिहरी, गढ़वाल के अलावा यूपी के जनपद बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थ नगर, अलीगढ़, गोरखपुर और आगरा में बतौर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उप महानिरीक्षक पद पर अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद वह कुछ समय के लिए स्टडी लीव पर विदेश चले गए थे, लेकिन लौटकर आने के बाद उन्होंने एटीएस लखनऊ में कार्यभार संभाला। इसके बाद से वह डायल 112 के एडीजी के पद पर तैनात रहे। कानपुर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद उन्हें यहां का पहला पुलिस आयुक्त बनाया गया।
असीम अरुण का राजनीतिक सफ़र -
विधानसभा चुनाव 2017 में सदर सीट से हारने के बाद भाजपा ने कन्नौज सुरक्षित सीट पर टकटकी लगाए बैठे पूर्व विधायक बनवारी लाल दोहरे को निराश करते हुए भाजपा ने इस बार हाल ही में आईपीएस से नेता बने असीम अरुण को टिकट दिया । कानपुर के प्रतिष्ठित पुलिस आयुक्त पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति की पथरीली राहों पर कदम रखने वाले असीम अरुण बीते तीन कार्यकालों से सपा की परंपरागत सीट रही कन्नौज सदर से ताल ठोका। यहां उनका मुकाबला सपा के निवर्तमान विधायक अनिल कुमार दोहरे से था।
भाजपा 2017 की प्रचंड मोदी लहर में भी अनिल को खूंटे से नहीं उखाड़ पाई और उसके दिग्गज नेता बनवारी लाल 2454 मतों के मामूली अंतर से परास्त हो गए। तीन बार से लगातार विधायक अनिल कुमार दोहरे और असीम अरूण के बीच होने वाला यह मुकाबला बेहद दिलचस्प और रोमांचक था। जिले के मतदाता ने 20 फरवरी को तीनों सीटों का फैसला ईवीएम में बंद कर अपने तीनों विधायकों का नाम मोहरबंद कर दिया।जब जिसकी अधिकारिक घोषणा 10 मार्च को हुई तो भाजपा प्रत्याशी असीम अरुण ने सपा से तीन बार विधायक रहे अनिल दोहरे को 6163 मतों से पराजित कर सपा के इस अभेद किले को भेजकर भाजपा का परचम लहरा दिया।