गोरखपुर-बाराबंकी रेलवे ट्रेक पर लगेगा 'कवच', आमने-सामने खुद रुक जाएंगी ट्रेनें

Update: 2022-03-29 12:16 GMT

लखनऊ। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ-काठगोदाम सहित कई अलग-अलग रूटों के 1,440 किलोमीटर ट्रैक पर स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ''कवच'' लगाने की मंजूरी मिल गई है। इस तकनीक के इस्तेमाल से एक ट्रैक पर दो ट्रेनें आ जाएंगी तो एक निश्चित दूरी पर दोनों खुद-ब-खुद रुक जाएंगी। 

पूर्वोत्तर रेलवे के करीब दस अलग-अलग रूटों के 1,440 किलोमीटर ट्रैक पर ''कवच'' तकनीक लगाने की मंजूरी मिल गई है। इसमें लखनऊ-काठगोदाम, गोरखपुर-बनारस, गोरखपुर-बढ़नी, गोरखपुर-नरकटियागंज, भटनी-छपरा रूट शामिल हैं। पहले चरण में कवच तकनीक का इस्तेमाल गोरखपुर-बाराबंकी रूट पर होगा। इसके लिए बजट आवंटित हो गया है। उम्मीद है कि दिसम्बर के पहले अन्य रूटों के लिए भी बजट आवंटित हो जाएगा। फिलहाल रेलवे ने वर्ष 2024 तक ''कवच'' तकनीक लगाने का लक्ष्य रखा है।

कवच का महत्व - 

स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ''कवच'' के प्रयोग से यदि एक ट्रैक पर दो ट्रेनें आ जाएं तो एक निश्चित दूरी पर दोनों खुद-ब-खुद रुक जाएंगी। लाल सिग्नल पार होने की दशा में ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएंगे। साथ ही पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेन बंद हो जाएंगी। ''कवच'' तकनीक ट्रेन चलाते समय लोको पॉयलट की सभी गतिविधियों-ब्रेक, हॉर्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है। ड्राइवर से किसी प्रकार की चूक होने पर ''कवच'' पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा। प्रतिक्रिया नहीं होने पर ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा।

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