लापरवाही: जान पर खेलकर बिना सुरक्षा इंतजाम के कर रहे हैं खंभों पर काम

सुरक्षा उपकरणों के अभाव में हर माह संविदा कर्मी किसी न किसी हादसे का हो रहें हैं शिकार

Update: 2024-08-29 13:34 GMT

अजय सिंह चौहान लखनऊ। हर माह उपभोक्ताओं से करोड़ों रुपये का बिजली बिल वसूल करने वाले बिजली विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही उनके ही कर्मचारियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते तैनात संविदा तथा आउटसोर्सिंग के कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरणों (सुरक्षा किट) के बिजली के खंभों पर चढ़कर काम कर रहे है।सुरक्षा उपकरण के अभाव में राजधानी लखनऊ के सभी विद्युत उपकेंद्रों में इन कर्मचारियों के साथ कई बार दुखद घटनाएं हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार इन कर्मचारियों की जान से खिलवाड़ करते हुए उन्हें कोई उपकरण उपलब्ध नहीं करा रहे है। उधर इस समस्या को लेकर आए दिन कर्मचारी खासतौर पर बारिश के समय उपकरण मुहैया कराने की मांग करते है। जिससे वह कोई अनहोनी घटना के शिकार न हो।

बता दें कि राजधानी में बिजली विभाग में तैनात कर्मचारियों की जान बिजली विभाग के लिए कोई मायने नहीं रखती है, यह हम नहीं खुद विभागीय अधिकारियों की उदासीनता की तस्वीरें बयां कर रही है। बिजली विभाग में तैनात कर्मी बिना सुरक्षा उपकरणों के चढ़ कर काम करने को विवश है। सुरक्षा उपकरणों के अभाव में हर माह संविदा कर्मी किसी न किसी हादसे के शिकार हो रहे है। देखा जाए तो बिजली विभाग संविदा तथा आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों भरोसे ही संचालित हो रहा है। विभागीय सूत्रों की मानें तो जिले में स्थायी लाइनमैन कर्मचारियों की संख्या कम है।नियमानुसार बिजली के पोल पर केवल लाइनमैन ही चढ़ सकता है।

विभाग और कंपनी के ठेकेदार द्वारा संविदा कर्मचारियों को खंभे पर चढ़ा कर कार्य कराया जा रहा है। इतना ही नहीं कोई बड़ा या छोटा फाल्ट आने पर इन्हीं कर्मचारियों से सुधरवाया जाता है। ऐसे में बिना किसी सुरक्षा उपायों के कार्य करने पर आए दिन इनके साथ घटनाएं होती रहती है। नियमानुसार इन कर्मचारियों को रबर के दस्ताने, प्लास, पेचकस, टेस्टर, झूला, डिचार्स्ज के साथ सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, जूता अनिवार्य होता है। सुरक्षा के बिना ही 30 से 40 फीट ऊचाई पर काम करने वाले कर्मचारी बिना सेफ्टी बेल्ट के काम करते है।

घायल होने पर नहीं मिलती विभागीय मदद : नियमानुसार संविदा कर्मचारियों को नियमित ईपीएफ, ईएसआई की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे हादसे होने पर उन्हें शासकीय मदद के साथ इलाज की सुविधा मिल सके। लेकिन जिले में ऐसा कुछ नहीं होता है। ऐसे में हादसा होने पर कर्मचारी चंदा एकत्रित करते है। इतना ही नहीं जिले में श्रमिकों की हित को लेकर जिला श्रम की बैठक भी नहीं आयोजित होती है।

हादसों के बाद भी अधिकारी गंभीर नहीं : विद्युत कर्मचारी प्रतिदिन किन्हीं कारणों से खराब हो चुकी बिजली को सुचारू करने के लिए बिजली की तारों की मरम्मत करते हैं। इन कर्मचारियों के पास कोई भी सुरक्षा उपकरण नहीं होते। कई बार बिजली सुधार कार्य के दौरान कई कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। बिजली के कर्मचारियों के झुलसने की अनेकों घटनाएं घटित हो चुकी हैं।

विद्युत कर्मचारियों के पास यह उपकरण होने चाहिए : नियमानुसार कर्मचारियों के पास फॉल्ट को सही करने के समय 'सेफ्टी बेल्ट, रस्सा, अर्थिंग चेन, जूते और दस्ताना' जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्र के उपकेंद्रों पर सीढ़ी भी उपलब्ध नहीं है। कर्मचारियों के पास न तो अव्वल दर्जे के प्लास हैं और न ही सेफ्टी बेल्ट, रस्सा और सीढ़ी। ऐसे में उन्हें फॉल्ट ठीक करने में भी परेशानी होती है। 

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