मथुरा। पहले शौच क्रिया के बाद भी साबुन से हाथ ना धोने वाले गुजराती अब बार-बार साबुन से हाथ धो रहे हैं। यह सब कमाल कोरोना वायरस का है।
गांधीजी स्वच्छता का संदेश हमेशा देते रहे और मोदी जी तो स्वच्छता का सिंबल बने हुए हैं। यह दोनों ही गुजराती हैं किंतु इनके प्रदेश के अधिकांश लोग शुरू से ही शौच क्रिया (मल त्याग) के बाद मिट्टी या साबुन से हाथ नहीं धोते आए हैं। यह लोग सिर्फ खाली पानी से हाथ धो कर इतिश्री कर लेते थे। लेकिन अब देखने में आ रहा है कि यह गुजराती सुबह से रात तक थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ धो रहे हैं।
गुजरात के अलावा महाराष्ट्र के लोगों का भी यही हाल है। वे लोग भी पहले शौच क्रिया के बाद ज्यादातर खाली पानी से ही हाथ धोते थे किंतु वह भी अब बार-बार हाथ धो रहे हैं। यह बात स्थानीय धर्मशाला एवं गेस्ट हाउसों में भी देखने को मिल रही है। गुजरात एवं महाराष्ट्र से लगे प्रांत मध्यप्रदेश में भी यही हाल है। इंदौर, रतलाम, जबलपुर आदि के लोगों के बारे में भी यही स्थिति है।
मल त्याग के बाद तो मिट्टी या साबुन से हाथ धोना बहुत जरूरी होता है लेकिन पता नहीं क्यों लोग इस बात को नहीं समझते। नहाने के लिए तो साबुन की बट्टी को बदन से बार-बार रगड़ेंगे लेकिन मल की गंदगी से सने हाथों को साधारण रूप में लेते हैं तथा खाली पानी डाला और हाथ धो लिए बस हो गई इतिश्री। चलो अब कोरोना के बहाने ही सही कुछ तो अक्ल आई।