विजय कुमार गुप्ता
मथुरा। कोरोना और उस जैसी तमाम बीमारियों से बचने के लिए इंसान को सबसे पहले मांसाहार और शराब आदि गंदे खानपान को त्याग देना चाहिए। नीम की कोपल पत्ती और तुलसी की पांच सात पत्तियों को सुबह खाली पेट लेना चाहिए। नीम की कोपल पत्तियों को चबाकर और तुलसी की पत्तियों को बिना
चबाऐ गुनगुने पानी के साथ निगलना चाहिए। नीम और तुलसी के पत्ते गुणों की खान है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक रहती है।
सोंठ, काली मिर्च और छोटी पीपल को बराबर-बराबर की मात्रा में मिलाकर कूट लें, फिर उसका चूर्ण छानकर रख लें तथा प्रतिदिन नीम और तुलसी की पत्ती लेने के कुछ देर बाद एक चम्मच शहद के साथ एक चुटकी चूर्ण मिलाकर चाट लें। यदि इनका चूर्ण बनाने की व्यवस्था नहीं हो सकती है तो यह आयुर्वेदिक कंम्पनियों का भी बना बनाया पैकेट मिलता है। इसे त्रिकुटा कहते हैं। यदि शहद उपलब्ध नहीं भी हो तो दूध अथवा चाय के साथ भी ले सकते हैं। चाय का पानी खोलते समय उसमें एक चुटकी चूर्ण डालकर भी अच्छा रहेगा। कहते हैं कि सोंठ मिर्च पीपर इन्हें खाए के जीपर।
सोते समय दूध जब पियें तो उसमें चैथाई चम्मच हल्दी मिलाकर पियें। हल्दी में रोग प्रतिरोधक क्षमता रहती है। पानी गुनगुना पियें क्योंकि गुनगुना पानी कफ को पिघलाता है और भोजन को पचाने में मदद भी करता है। पानी भोजन करने के कम से कम आधा घंटे बाद पियें। स्नान गर्म या गुनगुने पानी में करें। पानी नीम की पत्ती डालकर उबला हुआ हो तो कहने ही क्या लेकिन यदि ऐसा नहीं कर सकें तो एक बाल्टी पानी में थोड़ी सी डिटोल जरूर डाल लें। ऐसा करने से शरीर के ऊपर रोगाणुओं से बचने में काफी मदद मिलती है।
सिर और शरीर में लगाने हेतु तेल शुद्ध सरसों का हो, कच्ची घानी का हो तो और भी श्रेष्ठ है। नारियल का भी अच्छा है। विभिन्न कंम्पनियों के सुगंन्धित तेलों से बचें। सरसों या नारियल के तेल में कपूर जरूर मिला लें। वह भी थोड़ी ज्यादा मात्रा में। कपूर की महक विषाणुओं को दूर रखती है। इसीलिए हमारे यहां कपूर के द्वारा आरती की जाती है। कपूर की आरती के बाद जो सुगंध होती है, उससे पूरे वातावरण में एक अलौकिक सी आभा फैल जाती है जिससे बैक्टीरिया स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं।
यदि हो सके तो घर में हवन करें और हवन नहीं कर सकते हैं तो उपले को जलाकर उस पर एक-दो कंकड़ी गूगल की थोड़ी-थोड़ी देर में डालते रहें। गूगल की सुगंध पूरे घर को न सिर्फ
सुगंधित कर देगी बल्कि इससे रोगों के विषाणु स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं।
एक विशेष बात ध्यान रखने की यह है कि अपने पेट को साफ रखें। सारी बीमारियां पेट से शुरू होती है जिस व्यक्ति का पेट हमेशा साफ रहेगा उसको स्वतः ही तमाम बीमारियों से निजात मिलती रहेगी। पेट साफ के लिए सर्वश्रेष्ठ मठा का सेवन है और त्रिफला चूर्ण भी अत्यधिक लाभकारी है।
जहां तक हो सके शारीरिक श्रम अधिक से अधिक करें। कसरत और योग तो सर्वश्रेष्ठ है ही। मतलब जिस पर जितना निभ जाए, शरीर को चलायमान रखें। संगीत का भी अपना विशेष महत्व है, हर समय तरह-तरह की चिंताओं में खोए रहने से बचें और ज्यादातर समय मनपसंद संगीत सुनते रहें। संगीत में भजन या जैसे भी गाने रुचि के हो सुनते रहे, उससे मन प्रफुल्लित रहता है और तनाव से मुक्ति मिलती है। सोते समय भी संगीत चलता रहे तो उससे अच्छी नींद आती है, पुराने फिल्मी गाने सुनने का आनंद ही निराला है, हास्य को भी
अपनी दिनचर्या में बनाए रखें। हास्य बिना जीवन ऐसा समझो जैसे बिना नमक के सब्जी। हास्य टाॅनिक का काम करता है।
इसी श्रंखला में खुशवंत सिंह का एक चुटकुला बताता हूं जो आपको भी प्रफुल्लित करेगा। एक सरदार जी पउआ पी कर मस्त हो गए और चारपाई पर लेट कर गुनगुना रहे थे 'न ऐ चांद होन्दा न ऐ तारे होंन्दे'। घर में उनके 4-5 बच्चे उत्पात मचा रहे थे। कोई रो रहा था, कोई उछल कूद कर रहा था यानी सरदारनी परेशान थी तथा सरदार जी से बार-बार कह रही थी कि अरे जरा इनको संभाल लो ताकि मैं खाना बना लूं लेकिन सरदार जी को कोई चिंता नहीं।
बस फिर क्या था सरदारनी हाथ में बेलन लेकर रसोई से तमतमाती हुई आई और बोली के ओए सरदार 'न तू होंन्दा और न ये सारे होंन्दे' और फिर गरजती हुई बोली कि बहुत हो लिया, अब तुसी मेरी गल सुन और इन बच्चों को संभाल वर्ना मैं खाना भी नहीं बनान्दी। बस फिर क्या था, सरदार जी के पउऐ का असर उड़नछू हो गया और वे अपनी ड्यूटी पर लग गये।