यमुना के किनारे सिल्ट के लगे है ढेर, काम बंद
-नगर निगम और यमुना मिशन का कारनामा, आचमन तो दूर देखकर ही रो पड़ता है मन
अजय खंडेलवाल
मथुरा। यमुना से निकली सिल्ट के ढेर यमुना के किनारे लगाकर नगर निगम-यमुना मिशन ने काम बंद कर दिया है। ऐसे में हालात और नारकीय हो गए है। घाट किनारे गंदगी तैर रही है, पानी के नीचे कहीं सिल्ट है तो कहीं गहरे गढ्ढे जो बड़े हादसों का सबब बनेंगे। अधिकारियों की कारगुजारी से स्थानीय लोगों में आक्रोश पनप रहा है।
नगर निगम और यमुना मिशन ने योजनाबद्ध तरीके से गोलमाल करने के लिए बरसात से ठीक पहले यमुना की सफाई का जो कार्य शुरू किया वो अब उनके गले की हड्डी बन गया है। हाल ये है कि यमुना से निकली सिल्ट के ढेर यमुना के किनारे लगा दिए है, रेलवे पुल के नीचे सिल्न्ट का टीला बना दिया है और काम बंद है। अब अधिकारी बरसात और यमुना के जलस्तर बढ़ने का इंतजार कर रहे है। ताकि उनकी कारगुजारियां यमुना में बह जाएं।
इधर यमुना भक्त और खासकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है। सकरकुई, असकुंडा सहित कई घाटों पर यमुना की सिल्ट को घाट की दीवारों के सहारे लगा दिया है। इस गंदगी में कीड़े पनप रहे है, मच्छर हो रहे है ऐसे में यहां संक्रामक रोगों के फैलने का डर भी है।
यमुना भक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि यमुना मिशन और नगर निगम के अधिकारियों की कारगुजारी ने घाट किनारे यमुना के जल को और दूषित कर दिया। यमुना से सिल्ट निकालने के बाद उनका ढेर लगाने का क्या औचित्य है। जलस्तर बढ़ने के बाद ये सिल्ट एक बार फिर यमुना में ही समा जाएगी, ऐसे में अभियान के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी पर नेता, अधिकारी आखिर चुप क्यों है।
प्रतिदिन मछलियों को आटे की गोलियां डालने वाले रघुवर दास भी हैरान है, उन्होंने कहा कि बड़े मंत्री और नेता भी इस पूरे गोलमाल को देखकर शाबासी दे गए। घाट किनारे प्रदूषित यमुना के जल को देखकर मन रो पड़ता है।
जेसीबी चलने से हालात और बदतर हुए
स्थानीय लोगों को कहना है कि दशकों से यमुना में नाले सीधे गिर रहे है ऐसे में यमुना की तलहटी में लाखों टन गंदगी जमा है। ये गंदगी तलहटी में पूरी तरह बैठ गई थी। लेकिन सफाई अभियान के नाम पर घाटों के किनारे जेसीबी मशीन ने इस गंदगी को एक बार फिर उखाड़ दिया। नाममात्र को सिल्ट बाहर निकाली गई उसे भी उठाया नहीं गया है। इधर घाट किनारे यमुना और मैली हो गई।