डा.निर्विकल्प अपहरण कांडः हाईकोर्ट ने एसओ का निलंबन किया रद्द, ये वजह बताई
मथुरा के प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. निर्विकल्प अग्रवाल अपहरण कांड में निलंबित एसओ हाइवे जगदंबा सिंह का निलंबन हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। विभागीय अधिकारी नियमानुसार कार्यवाही कर सकते हैं।
हम आपको बता दें कि इस चर्चित अपहरण कांड में इंस्पेक्टर को लापरवाही बरतने और विभाग की छवि धूमिल करने के आरोप में 11 फरवरी 2020 को निलंबित किया गया था। निलंबन का आदेश एसएसपी मथुरा और डीआईजी ने दिया था। जगदंबा सिंह ने याचिका दाखिल कर निलंबन आदेश को चुनौती दी थी। याचिका पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुनवाई की।
याची के तरफ से कोर्ट में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि निलंबन आदेश कानूनी रूप से गलत है। आदेश पारित करने से पूर्व सक्षम अधिकारी ने उन तथ्यों पर न तो विचार किया और न ही अपने आदेश में जिक्र ही किया कि किस आधार पर याची को निलंबित किया गया।
अधिवक्ता का कहना था कि निलंबन से पूर्व अधिकारी को उन कारणों का आदेश में उल्लेख करना चाहिए जिस पर विचार कर संतुष्ट होने पर निलंबन आदेश पारित किया गया। कोर्ट ने आदेश में सच्चिदानंद त्रिपाठी केस में निलंबन को लेकर प्रतिपादित सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि याची के केस में सक्षम अधिकारी ने निलंबन आदेश पारित करने से पूर्व उन कारणों को रिकार्ड नहीं किया है, जिससे संतुष्ट होकर उन्होंने निलंबन आदेश पारित किया।
ये था पूरा मामला
मामले के अनुसार याची इंस्पेक्टर पर आरोप था कि डॉक्टर के अपहरण के मामले में प्रकरण संज्ञान में आने के बाद भी संज्ञेय अपराध में मुकदमा पंजीकृत नहीं किया तथा उनकी इस लापरवाही के चलते पुलिस की छवि धूमिल हुई। मथुरा के डॉक्टर निर्विकल्प अग्रवाल का 10 दिसंबर 19 को अपहरण कर लिया गया था तथा 52 लाख की फिरौती लेकर छोड़ा गया। डर के मारे इस घटना की पुलिस को सूचना नहीं दी गई।
काफी समय पहले डॉक्टर के माता-पिता की हत्या कर दी गई थी, जिसके कारण डाक्टर ने मुकदमा नहीं लिखाया। याची इंस्पेक्टर ने स्वयं ही जानकारी मिलने पर 11 फरवरी 2020 को थाना हाईवे, मथुरा में शिकायतकर्ता के रूप में चार अभियुक्तों के खिलाफ केस लिखवाया। कहा गया था कि याची ने ईमानदारी से काम किया और केस वर्कआउट करके डाक्टर को अपहर्ताओं से छुड़वाया तथा दो अपहर्ताओं सनी मलिक व नितेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।