यमुना की सफाई के नाम पर बनी खाई ने युवक को निगला
-यमुना मिशन के कारनामे से एक और जान गई
अजय खंडेलवाल
मथुरा। यमुना की सफाई के नाम पर घाटों के किनारे जेसीबी से किए गए गहरे गढ्ढे ने एक युवक की जान ले ली। एक माह पहले ही ये कारनामा यमुना मिशन और नगर निगम के संयुक्त प्रयासों से हुआ है। आधे-अधूरे किए गए कार्यो से घाटों के किनारे मौत के गढ्ढे बना दिए गए है। इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है।
गुरूवार को कोयला वाली गली निवासी 18 वर्षीय युवक प्रियांश चौरसिया अपने दोस्तों के साथ यमुना में नहाने गया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि घाट पर युवक और उसके साथी जैसे ही यमुना में उतरे युवक गहरे गढ्ढे में समाता चला गया। इस बीच उसके साथ आए युवकों ने शोर मचाया लेकिन किसी को इतना मौका भी नहीं मिल सका कि वो युवक की जान बचा सके।
इसकी सबसे बड़ी वजह हाल ही में यमुना मिशन और नगर निगम द्वारा सफाई के नाम पर यमुना के किनारे जेसीबी से की गई खुदाई को बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जेसीबी ने कई जगह 10 से 12 फुट तक की सिल्ट और मिट्टी को निकाल दिया इससे यमुना में जगह-जगह गहरे गढ्ढे हो गए है। ये काम घाटों के किनारे-किनारे रेलवे पुल से कंस किले तक किया गया है। ऐेस में अब इन क्षेत्रों में हादसों की संभावना बढ़ गई है। इधर यमुना के बीच से निकाली गई सिल्ट घाट किनारे इकठ्ठी कर दी गई। जलस्तर बढ़ने के बाद ये सिल्ट के ढेर यमुना की तलहटी को ऊबड़-खाबड़ बना रहे है। ऐसे में लोग हादसों का शिकार हो रहे है।
गहरे गढ्ढे ने ली थी दो मासूमों की जान
यमुना की सेवा के नाम पर यमुना मिशन ने किशन गंगा घाट पर भी गहरा गढ्ढा खोद दिया था। इस गढ्ढे में डूबकर दो मासूमों की मौत हो गई थी। स्थानीय लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया तो मिशन इस गढ्ढे को ज्यों का त्यों छोड़कर आ गया। आज इसमें गंदा पानी इकठ्ठा हो रहा है जिससे संक्रामक रोगों के बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।