कुंड माफिया की जांच कराना ही भूल गई योगी सरकार ?
-जनवरी में एनजीटी ने दिए थे केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने के आदेश, फाइल दबी -डीएम की रिपोर्ट में ब्रज फाउंडेशन द्वारा प्राचीन कुंडों पर अवैध कब्जे, मिट्टी खनन का हुआ था खुलासा
अजय खंडेलवाल
मथुरा। इसे कोरोना काल में सरकार की हड़बड़ाहट कहें या कुंड माफिया की योगी सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों से सांठगांठ। नतीजा ये है कि कुंडों के जीर्णोद्धार के नाम पर ब्रज के प्राचीन कुंडों को खुर्द-बुर्द करने वाले ब्रज फाउंडेशन के काले कारनामों पर पर्दा डाला जा रहा है। ये हाल तो तब है जब पूरे प्रकरण पर डीएम ने बेहद गंभीर रिपोर्ट शासन को सौंपी है और राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने योगी सरकार को इस गंभीर मामले की जांच किसी केंद्रीय एजेंसी से कराकर रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए है।
द ब्रज फाउंडेशन संस्था द्वारा संकर्षण कुंड आन्यौर, रूद्र कुंड जतीपुरा, ऋणमोचन कुंड गोवर्धन जयकुंड जैंत, रामताल कुंड सुनरख सहित ब्रज के कई कुंडों का जीर्णोद्धार कार्य कराया था। इन कार्यो में कई तरह की गंभीर लापरवाही बरती गई और कुंड की खुदाई से निकली मिट्टी को खुर्द-बुंर्द किया गया। मामले की शिकायत राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में दर्ज हुई। इसके बाद जिला प्रशासन ने भी अपने स्तर से पूरे मामले की जांच की। इस जांच रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आयी।
इस रिपोर्ट में कहा गया कि संस्था ने विकास कार्यों के दौरान तालाब के मौलिक स्वरूप को परिवर्तित करते हुए जल भराव क्षेत्र को सीमित कर दिया। गाय और पशुओं के पीने के पानी के स्त्रोत को अवरूद्ध कर दिया। कुंड के आसपास अतिक्रमण, खुदाई में निकली मिट्टी के खुर्द-बुर्द करने तथा कानून के विरूद्ध प्रवेश शुल्क लगाने की अनुमति लेने जैसे कई गंभीर खुलासे हुए।
इस रिपोर्ट के बाद एनजीटी ने कड़ा रूख अपनाया और पीठ के न्यायाधीश रघुवेंद्र एस राठौर और डाक्टर सत्यवान सिंह गर्बयाल ने यूपी सरकार को आदेश दिए कि मामला बेहद गंभीर है सरकार किसी केंद्रीय एजेंसी से पूरे मामले की जांच कराकर एक माह में रिपोर्ट दाखिल करे। ये आदेश जनवरी 2020 का है लेकिन मजेदार बात ये है इतने गंभीर मसले की फाइल भी कहीं दबी पड़ी है। समझा जा रहा है कि सारा खेल योगी सरकार में बैठे अधिकारियों और केंद्र के कद्दावर नेताओं के दबाव के चलते हो रहा है। इसके चलते एनजीटी में सरकार की किरकिरी होना भी तय माना जा रहा है।