धारा 370 और अब राम मंदिर का भूमि पूजन, संयोग या प्रयोग
-1992 की राष्ट्रीय एकता यात्रा से निकले थे ये संकल्प, 28 साल बाद मोदी करेंगे राम लला के दर्शन
अजय खंडेलवाल
मथुरा। 1992 का वो दौर जब देश तुष्टीकरण के राजनीतिक संक्रमण से जूझ रहा था। एक तरफ देश के कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था तो दूसरी ओर पूरे देश में राममंदिर का आंदोलन शिखर पर था। इसी बीच भाजपा ने राष्ट्रीय एकता यात्रा का ऐलान कर दिया। ये यात्रा कन्याकुमारी से शुरू हुई और कश्मीर के लाल चैक पर तिरंगा फहराने के साथ समाप्त हुई, इसका नेतृत्व कर रहे थे तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री और वर्तमान में देश के पीएम नरेंद्र दामोदर दास मोदी। इस यात्रा में मथुरा के विधायक और पूर्व ऊर्जा मंत्री रविकांत गर्ग भी उनके साथ थे।
12 जनवरी 1992 को ये यात्रा अयोध्या के रामंदिर परिसर में पहुंची। इसी बीच एक फोटो जर्नलिस्ट ने नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा, आप दोबारा अयोध्या में राम लला के मंदिर कब आएंगे, मोदी का जवाब था जब मंदिर बनेगा तब । इस यात्रा में पीएम मोदी के साथ रहे तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और मथुरा के एमएलए रविकांत गर्ग ने बताया पीएम मोदी के इन शब्दों को उस समय सामान्य तौर पर लिया गया। लेकिन आज ये शब्द संकल्प के रूप में करोड़ों करोड़ हिंदुओं के दिल को छू रहे है। बीते 28 सालों में पीएम मोदी कई बार अयोध्या में जनसभाएं करने तो आए लेकिन राम लला के दर्शन करने नहीं गए। मोदी 28 साल बाद अब बुधवार 5 अगस्त को प्रभु श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के लिए अयोध्या पहुंच रहे है और राम लला के दर्शन करेंगे।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय एकता यात्रा का पहला संकल्प कश्मीर से धारा 370 को हटाना था ताकि एक देश एक विधान-एक निशान का सपना साकार हो सके। धारा 370 को हटाने का संकल्प पूरा हो चुका है और अब बुधवार को प्रभु श्री राम के मंदिर के भूमि पूजन के साथ ही मंदिर निर्माण का संकल्प भी पूरा होने जा रहा है।दिलचस्प बात ये है कि धारा 370 को हटाने का ऐलान 5 अगस्त 2019 को लिया गया था और 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राममंदिर के भूमि पूजन करने का दिन तय किया गया। अब विपक्ष बेचैन है ये महज संयोग और या फिर कोई प्रयोग।
अब काशी-मथुरा की बारी
मथुरा। 1992 की राष्ट्रीय एकता यात्रा में तत्कालीन संगठन मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मथुरा के विधायक रविकांत गर्ग और काशी के सांसद डा.मुरली मनोहर जोशी साथ रहे थे। आज नरेंद्र मोदी देश के पीएम है और बनारस (काशी) से सांसद भी। ऐसे में हिंदूवादी संगठनों में काशी और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर भी हलचल है। इधर कट्टर हिंदूवादी विनय कटियार अपने बयान में कह ही चुके है अयोध्या हुई हमारी, अब मथुरा और काशी की बारी। आगे-आगे देखिए होता है क्या।