गोवर्धन। श्रद्धा के सैलाब के बीच तलहटी पहुंचे लाखों भक्तों ने गिरिराज महाराज की परिक्रमा लगाई। आषाढ़ मास की पूर्णिमा की पूर्व संध्या से ही रात में भक्तों की भीड़ ने रिकॉर्ड तोड़ दिया।
सोमवार की सुबह तक अथाह जनसैलाब उमड़ता रहा। गिरिराज महाराज की 21 किलोमीटर की परिक्रमा ही नहीं बल्कि आसपास में कई-कई किलोमीटर तक श्रद्धालु दिखाई दिये। भीड़ के दबाब के चलते गिरिराज जी के मुख्य मंदिरों में श्रद्धालु पूजा व दर्शन भी नहीं कर पाए। भीड़ में जाकर सौभाग्यशाली भक्त गिरिराज जी की शिला को स्पर्श कर सका। गोवर्धन धाम में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को प्राचीन मुड़िया पूर्णिमा मेला लगता है। इस मेला को उत्तर प्रदेश सरकार ने राजकीय दर्जा दिया है और सभी व्यवस्थाएं शासन स्तर से की जाती हैं। गोवर्धन के इस मेला में जहां प्राचीन परंपरा में मुड़िया शोभायात्रा निकाली जाती है, वहीं भक्त अपने आराध्य गिरिराज महाराज का पूजन, दर्शन व सप्तकोसीय परिक्रमा करने आते हैं। मुड़िया पूर्णिमा मेला एकादशी से ही अर्पण करके तन-मन-धन चलो रे चलें सब गोवर्धन की अभिव्यक्ति के साथ शुरू से शुरू हो जाती है। श्रद्धा व आस्था लेकर देश के कोने कोने से आए भक्तों ने गिरिराज महाराज की परिक्रमा कर मन्नत मांगी। मेला के पांच दिन गिरिराज महाराज के जयकारे व राधे-राधे के उद्घोष सुनाई दिये। मानसी गंगा की परिक्रमा कर निकाली गई पारंपरिक मुड़िया शोभायात्रा के साथ मेला का समापन हो गया। लेकिन गिरिराज महाराज की परिक्रमा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम नहीं हुई है। प्रशासन की ओर से 27 जून से 04 जुलाई तक व्यवस्थाएं की हैं। यूपी और राजस्थान सीमा में प्रशासन ने शिविर लगाए
40 किलोमीटर तक फैल जाता है मेला क्षेत्र
गिरिराज महाराज की परिक्रमा के साथ यहां आने वाली भीड़ से मेला क्षेत्र 40 किलोमीटर तक पहुंच जाता है। गोवर्धन पहुंचने वाले सभी संपर्क मार्गों के साथ-साथ आसपास के गांव, कस्बा व शहर के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि पर भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है। गोवर्धन पहुंचने के लिए श्रद्धालु निजी वाहन, रेलवे, व बसों का साहरा लेते हैं। इस बार यूपी रोडवेज ने 1500 सौ बसों का संचालन व राजस्थान रोडवेज ने भी अतिरिक्त बस लगाई थीं। इसके अलावा रेलवे विभाग ने स्पेशल टेज्न, बुकिंग खिड़की आदि के इंतजाम किये। स्वयंसेवी संस्थाओं ने जगह-जगह भंडारे व प्याऊ के शिविर लगाये।
राधे-राधे की धुन पर लगाई परिक्रमा
गिरिराज महाराज की तलहटी में आयोजित मुड़िया पूर्णिमा मेला में पांच दिन तक श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। हर कदम पर भक्तों के मुख से राधे-राधे का नाम निकला। कहीं मन्नत लिए हाथ में दूध का गिलास तो कहीं कष्टों को हरने के लिए फव्वारे के नीचे स्नान करते श्रद्धालु दिखाई दिए। वास्तव में तन, मन और धन तीनों ही श्रद्धालुओं ने बड़े मनोयोग से अपने आराध्य गिरिराज प्रभु को अर्पित किया। परंपरागत मुड़िया पूर्णिमा मेला की शुरूआत एकादशी से हुई और सोमवार को दो निकाली गई मुड़िया शोभायात्राओं के साथ इसका समापन हुआ।
हालांकि मेला क्षेत्र में अपनी आस्था को लेकर श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला जारी है। फिर भी पांच दिन में एक आंकड़े के हिसाब से करीब 65 से 70 लाख श्रद्धालुओं ने गिरिराज महाराज की परिक्रमा लगाई। रोडवेज ने अपनी 1500 सौ बसें संचालित कर लोगों को लाने और ले जाने का काम किया। गोवर्धन को पहुंचने वाले मथुरा से गोवर्धन, सौंख से गोवर्धन, बरसाना से गोवर्धन, डीग से गोवर्धन, छटीकरा से गोवर्धन इन सभी मार्गों पर कई-कई किमी तक भीड़ ही भीड़ दिखाई दी।