बांदा/बबेरु। तहसील मुख्यालय से महज तीन किमी दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत पतवन मूलभूत सुविधाओं से आज भी दूर है। बांदा-औगासी-फतेहपुर मार्ग पर स्थित पतवन सड़क किनारे स्थित है। यहां पलायन, अन्ना जानवर, पेयजल व राजस्व वाद की कई समस्याएं हैं।
यहां के निवासी समाजसेवी कुलदीप शुक्ला आरटीआई एक्टिविस्ट कहते हैं कि गांव की चकबंदी हुए लगभग तीन दशक का समय हो गया है, किन्तु आज भी चकबंदी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। इससे राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से वादों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो तमाम प्रकार के अपराधों को जन्म देती है। इसी तरह पेयजल योजना भी चालू हुई थी। इसमें चौदह गांवों को पतवन से सप्लाई देने की व्यवस्था थी। इस समय वह भी धड़ाम पड़ी है। यहां की सत्तर फीसदी आबादी पुरवों में रहती है। विकास की तमाम प्रकार की योजनाएं बनाई गई, जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकीं हैं। रोजगार के साधनों के अभाव में सैकड़ों युवाओं को रोजगार के लिए गांव से पलायन करना मजबूरी है। गांव में जगह-जगह गंदगी के ढेर हैं। इस ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।