कैराना। लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली थाना भवन सीट भी इस बार बहुत हाई प्रोफाइल बनी हुई है । यहां से दूसरी बार विधायक सुरेश राणा को भाजपा ने तीसरी बार फिर से टिकट दिया है । सुरेश राणा ठाकुर हैं, योगी आदित्यनाथ के करीबी और चेहते हैं । पश्चिमी यूपी के जाट तो ये भी आरोप लगाते हैं कि सुरेश राणा को ठाकुर होने के कारण योगी ने बहुत महत्व दिया और जाटों की अनदेखी की । राणा यूंकि योगी आदित्य नाथ की कैबिनेट में गन्ना मंत्री हैं और किसानों को गुस्सा इस बात है कि उनको तीन- तीन साल तक चीनी मिलें गन्ने के पैसों का भुगतान नहीं करती । गन्ना किसान आंदोलन डाट वोट बैंक पर क्या कहते हैं सुरेश राणा
सवाल : आप प्रदेश के गन्ना मंत्री हैं आप का इलाका गन्ना बैल्ट है और गन्ने का भुगतान न होने से किसान बहुत नाराज़ है । आपको चुनाव में ये नाराजगी भारी तो नहीं पड़ेगी ?
सुरेश राणा : जो भी आपने कहा है हमें इस बात से बिल्कुल भी आपत्ति नहीं है और वो इसलिए क्योंकि 120 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश में है 94 मिलें ऐसी है जो भुगतान 14 दिनों के अंदर कर रही हैं , 12 मिले ऐसी है जिनका करंट का भुगतान 75 प्रतिशत तक किया जा चुका है बाकी बची 10 मिले और यह वह मिले है जो कि बजाज ग्रुप की थी जो कि बहुत ही कठिनाई में रही है। यह मिलें 2004 में लगी थी तबसे लगातार यह मिलें कठिनाई में ही रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण चीनी के पैसे को अन्य उद्योग में परिवर्तित (डाइवर्ट) करना था। भाजपा सरकार ने यह डाईवर्जन रोक दिया। इसके साथ ही सरकार के पास भुगतान करने के केवल दो तरीके थे जिसमें पहला तरीका मिल की आर सी करने का और दूसरा तरीका मिल की एफआईआर करने का। और यदि हम आरसी करते है तो उसका जितना बकाया है उसका 10 प्रतिशत टैक्स सरकार को चला जाएगा।
तो मैं योगी जी का धन्यवाद करूंगा की वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री है प्रदेश के जिन्होंने चौधरी चरण सिंह जी से प्रेरित हो कर यह कानून बनाया कि यदि कोई शुगर मिल भुगतान नहीं करती तो सभी सिस्टर कंसर्न कंपनियों को जब्त करके हम गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित करेंगे। और कानून के उसी क्रम में जद में सबसे पहले बजाज ग्रुप आया ।
सवाल : आपने अभी चौधरी चरण सिंह जी की बात कहीं । भाजपा आज तक चौधरी चरण सिंह जी के कद का कोई भी जाट नेता नहीं खड़ा कर पाई, इसका कारण क्या है ?
सुरेश राणा : सबसे पहली बात चौधरी चरण सिंह जी जाट नेता नहीं थे। वे किसानों के नेता थे और आज के समय में दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि लोगों में किसानों के नेता बनने की बजाय जातियों के नेता बनने की होड़ ज्यादा मची है। चौधरी साहब के समर्थक आजमगढ़ में भी हैं जो यादव बहुल बैल्ट है ।वहां यादव, कुर्मी, ठाकुर, गुज़र सब चौधरी साब के साथ थे । चौधरी वीरेंद्र सिंह जी मेरे साथ खड़े है जो अब भाजपा नेता है आप इनसे से पूछ लिजिए लम्बे समय तक ये लोकदल के ही एमएलए रहे है यहां तक की इनका पूरा परिवार लोकदल से जुड़ा रहा तो एक ज़माना ऐसा होता था कि 36 बिरादरियां लोकदल से जुड़ी हुई थी चौधरी चरण सिंह जी के कारण। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया हालात बदलते गए ।
लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि अबकी बार हमारे जयंत भाई को ऐसा क्या हुआ की उनके गठबंधन को लोकदल का एक भी कार्यकर्ता पसंद नहीं कर रहा। वो गठबंधन है गुंडों के साथ वे उन लोगों के साथ है जिन्होंने मुजफ्फरनगर में दंगा कराया साथ ही 12 हजार से अधिक किसानों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करायी, चौधरी अजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनने से रोका, पश्चिमी यूपी की कानून व्यवस्था को भी तबाह कर दिया तमाम गांव जला दिये पलायन तक करा दिया। ऐसे लोगों के साथ जयंत चौधरी ने गठबंधन क्यों किया यह बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
सवाल : भाषा की मर्यादा को लेकर काफी आलोचना है प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा 'मैं कैराना मुजफ्फरनगर की गर्मी उतार दूंगा' फिर जयंत चौधरी ने कहा की 'मैं चर्बी उतार दूंगा' । चुनाव में इस तरह की भाषा और मर्यादा लांघना राजनीति में इस पर आप क्या कहेंगे ?
सुरेश राणा : योगी जी ने कभी मर्यादा लांघने वाला बयान नहीं दिया है और यदि योगी जी ने गर्मी उतार दूंगा कहा है तो उसके अर्थ को पहले समझना पडेगा। इस वाक्य का स्पष्ट अर्थ यह है कि हमेशा योगी जी ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास इस पर अपने कदम आगे बढ़ाया है और हमेशा सदन में बोला है कि हम सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते है हमारे यहां कांवड़ यात्रा और मुहर्रम का महत्व एक समान है लेकिन हम किसी का तुष्टिकरण नहीं करते और फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से समाजवादी नेताओं के बयान आने लगे कि मैं हिंदुवादियों का इलाज कर दूंगा । उन्हीं का दूसरा नेता बोलता है हम भूसा भर देंगे। तो जब भुसा भरने वाले आए तो यह सच है कि भुसा भरने वालों की गर्मी ठंडी करने का काम यदि प्रदेश में कोई कर सकता है तो वह योगी आदित्यनाथ ही हैं ।
सवाल : कहा जा रहा है 'जिसके जाट, उसके ठाठ' और जाट भाजपा से नाराज़ है । किसानों के साथ भाजपा की कहीं कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की कमी रही या उनको भाजपा समझा नहीं पायी । भाजपा से जाटों और किसानों की दूरी का आप क्या कारण समझते हैं ।
सुरेश राणा : सबसे पहली बात मीडिया में पूरी तरह से परशेप्शन गलत है क्योंकि किसान जाट, गुजर, या ठाकुर नहीं है किसान अपने आप में एक जाति है और किसानों में छत्तीस बिरादरियां है। तो मैं समझता हूं की केवल जातिगत आधार पर टिप्पणी करना उचित नहीं है क्योंकि हमेशा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत हो या चौधरी चरण सिंह जी हों उन्होंने किसान की लड़ार्इ लड़ते हुए किसान को जाति बताया है तो ये पूरी बेल्ट किसान जाति की बेल्ट है।
किसान जाति के लिए आदरणीय मोदी जी व योगी जी ने ऐतिहासिक काम किए है और यदि मैं दो तीन काम बताऊं तो चौधरी साहब की कर्मस्थली बागपत है और बागपत के रमाला में शुगर मिल हमने लगवाई । सपा की सरकार यहां रही साथ ही कई बार चौधरी चरण सिंह जी यहां से कई बार सांसद रहे और भी कर्इ मौके मिले लेकिन 35 वर्ष से रमाला का किसान मांग करता रहा कि हमें शुगर मिल दे दो कोई नहीं दे पाया। चूंकि उनके दिल में किसान के लिए कोई जगह ही नहीं है। योगी आदित्यनाथ जी ने चौधरी चरण सिंह जी को समर्पित करते हुए 500 करोड़ की चीनी मिल रमाला में लगवा दी । ।
पिछले 10 वर्षों से बंद बुलंदशहर, पिछले 11 वर्षों से बंद सहारनपुर, मेरठ शुगर मिल को 2500 करोड़ लगा कर दोबारा चालू किया है योगी सरकरा ने । रही बात किसानों में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की तो योगी जी किसानों के नेता है किसान उनके साथ कॉन्फिडेंस में है।6. विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा कमजोर पड़ रही है इसलिए 2013 दंगे और हिंदु पलायन जैसे मुद्दे उठा रही है साथ ही हिंदु -मुसलमान में भेद पैदा कर रही है ।
सुरेश राणा : पलायन समाजवादी पार्टी के लिए छोटा शब्द होगा किंतु भाजपा के लिए यह बिल्कुल भी छोटा शब्द नहीं है समाजवादी पार्टी में तो जिस पर जितने मुकदमे वह सपा का उतना ही बड़ा नेता है। अब मुख्तार अंसारी को कौन नहीं जानता उसके भाई को ज्वाइन करा करके अखिलेश यादव जी ने उत्तर प्रदेश में क्या मैसेज देने की कोशिश की है। आगरा में समाजवादी पार्टी के धरने में अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगते है हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है किंतु वहां नारा लगे पाकिस्तान जिंदाबाद तो इसका क्या मतलब है। रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हमला हुआ और आतंकवादियों से मुकदमे वापस लेने की सिफारिश समाजवादी पार्टी करे तो इसका क्या मतलब है, जिन्ना से भी रिश्तेदारी निकाल ली। बात गन्ना कि करते है रिश्तेदारी जिन्ना की निकालते है। तो इन सबसे स्पष्ट होता है कि गन्ना वाले हम है और जिन्ना वाले वो है।
सपा का नाम आते ही लोगों की रूह कांप जाती है सपा के नाम से बच्चों की आंखों में भय आ जाता है। सपा के नाम से किसानों को लगता है फिर वहीं काले दिन कैसे खेत में जाऊंगा। इन सभी का मोदी योगी राज में स्वर्णिम काल है। और 36 बिरादरी भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ी हैं मोदी योगी को कोई भी खोना नहीं चाहता।सर्जना शर्मा की वाल से साभार: