शिवराज की छवि धूमिल करने में जुटे अधिकारी
पीडि़तों को राहत नहीं, सीएम की ये कैसी हेल्पलाइन
* विनोद दुबे
ग्वालियर, न.सं.। शासकीय योजनाओं में गड़बड़ी, शासकीय विभागों अथवा कार्यालयों से संबंधित शिकायतों के शीघ्र एवं सुनिश्चित निराकरण के उद्देश्य से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अपनी निगरानी में शुरू की गई सीएम हैल्पलाइन (181) अधिकारियों की कामचोरी और आरोपियों से सांठगांठ के चलते पूरी तरह औचित्यहीन साबित हो रही है। सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों की धरातल पर न तो जांच हो रही है और न ही कार्रवाई। परेशानी जस की तस, निराकरण सिर्फ कागजों और बेवसाइट दर्ज हो रहे हैं। अधिकारियों की निकृष्टता के चलते जहां इस हेल्पलाइन के प्रति लोगों का विश्वास उठ रहा है। वहीं विधानसभा चुनावों के नजदीक रहते मध्यप्रदेश की जनता के बीच शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री के रूप में ईमानदार और जनप्रिय छवि को बट्टा लग रहा है।
इस तरह होती है कार्रवाई : विभिन्न जिलों से संबंधित पीडि़तों के आवेदन एवं शिकायत पर कार्रवाई और निराकरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया जिलाधीश कार्यालयों के माध्यम से संबंधित विभागों से करवाई जाती है। सीएम हेल्पलाइन में प्राप्त शिकायत पर कार्रवाई शिकायतकर्ता द्वारा संतुष्टिपूर्ण समाधान की सहमति दिए जाने तक की जानी चाहिए लेकिन धरातली सच यह है कि अधिकांश शिकायतों में कार्रवाई एक इंच तक आगे नहीं बढ़ती है। कार्रवाई के नाम पर विभागीय स्तर पर लेबल-1 से लेबल-4 तक सिर्फ पत्राचार और सवाल-जवाब की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। अंतत: जिन अधिकारियों की लापरवाही और लीपापोती के कारण पीडि़त परेशान होता है। उन्हीं की रिपोर्ट के आधार पर सीएम हेल्पलाइन द्वारा प्रकरण समाप्त किए जाने की घोषणा कर दी जाती है। पीडि़त के संतुष्ट नहीं होने पर उसे पुलिस, न्यायालय अथवा वरिष्ठ अधिकारियों के पास शिकायत करने की सलाह दी जाती है। पीडि़तों के समक्ष सवाल फिर वही खड़ा हो जाता है कि जब अधिकारी ही शिकायतों पर कार्रवाई करते तो फिर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की जरूरत ही क्यों पड़ती।
पीडि़त परेशान फिर भी 95 प्रतिशत निराकृत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सीएम हैल्पलाइन आरंभ किए जाने से अब तक प्रदेश में विभिन्न विभागों एवं कार्यालयों से संबंधित 2929911 शिकायतें प्रदेशभर से प्राप्त हुई हैं। इनमें से 2771874 शिकायतों का निराकरण किया जाना वेबसाइट पर दर्शाया जा रहा है।
कार्रवाई के नाम पर तैयार हो रही है नोटसीट
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत प्राप्त होने के बाद से शिकायत को निराकरण हेतु संबंधित विभाग में भेज दिया जाता है। लेबल-1 से लेकर लेबल-4 तक शिकायत तेजी से घूमती फिरती है। अंतत: समाधान शून्य के रूप में कर दिया जाता है। बिना जांच किए परेशान पीडि़त की शिकायत को ही झूंठा बता दिया जाता है तो कहीं उसे पुलिस, न्यायालय एवं वरिष्ठ अधिकारियों की शरण लेने की सलाह देकर प्रकरण को बंद कर दिया जाता है।
अधिकारियों पर नहीं होती कोई कार्रवाई
सीएम हेल्पलाइन में प्राप्त शिकायत पर कार्रवाई और शिकायत का निराकरण नहीं करने वाले लेबल-1 से लेकर लेबल 4 तक के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान है। इसके बावजूद शिकायतों का मनमाना निराकरण इस तरह से किया जा रहा है कि न तो शिकायत पर किसी तरह की कार्रवाई हो रही है और न ही पीडि़त को राहत नहीं मिल रही है। कई ऐसे प्रकरण भी हैं जिनमें सीएम हेल्पलाइन का हवाला देते हुए शासन में बैठे वरिष्ठतम अधिकारी कार्रवाई हेतु पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय कार्यालयों में बैठे छोटे अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। छोटे अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को हवा में उड़ा रहे हैं।
सीएम हेल्पलाइन से उठा हमारा विश्वास
प्रकरण 1: (सीएम हेल्पलाइन क्र. 2637090 दिनांक )
नीलम गुप्ता निवासी मीरा नगर मुरार ने फ्लैट के नाम पर बी.पी.सिटी द्वारा की गई 2 लाख 85 हजार रुपये की ठगी की शिकायत जिलाधीश कार्यालय में की थी। शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर सी.एम. हेल्पलाइन में शिकायत की। शिकायत पुलिस विभाग को भेज दी गई। शिकायत एल-1, एल-2, एल-3 एवं एल-4 स्तर तक पहुंची। 8 नवम्बर 2016 को संबंधित थाने में जाकर शिकायत करने की सलाह के साथ शिकायत निराकृत दर्शा दी गई।
प्रकरण 2 : (सीएम हेल्पलाइन क्र. 2939365 दिनांक 18.11.2016)
सुधा त्रिपाठी निवासी तानसेन रोड, शिक्षा नगर ग्वालियर ने 18 नवम्बर 2016 को सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की थी कि हरीश चन्द्र जैसवाल संविदा शिक्षक वर्ग-3 को विभाग द्वारा अवैध रूप से आवास का लाभ दिया गया है। शिकायत विभाग में की परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतकर्ता द्वारा शीघ्र समाधान चाहा गया था। शिकायत कलेक्टर कार्यालय से एल-1 अधिकारी अर्थात संकुल प्राचार्य रेलवे कॉलोनी के पास भेजा गया। इसके बाद शिकायत एल-2, एल-3 अधिकारियों के पास होते हुए अभी एल-4 अधिकारी के पास लंबित है।
प्रकरण 3: सीएम हेल्पलाइन क्र. 2829573, 3016319, 3073389
76 वर्षीय दयाराम शर्मा निवासी ललितपुर कॉलोनी ने ग्राम धनेला, जिला मुरैना स्थित अपनी जमीन पर लोन लेने के लिए आवेदन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बामौर शाखा में किया था। आवेदन बैंक के उप प्रबंधक रोहित बजाज के साथ मौका मुआयना के लिए गया तो 27 सितम्बर 2016 को गांव के दबंगों अलके गुर्जर और शिवदत्त गुर्जर ने बैंक उप प्रबंधक से आवेदक के जमीन संबंधी मूल दस्तावेज छीन लिए और आवेदक से मारपीट कर जबरदस्ती स्टाम्प पर हस्ताक्षर कराए और अंगूठा भी लगवाया। आवेदक ने तीन बार सीएम हैल्पलाइन में शिकायत की। स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट पर सीएम हेल्पलाइन द्वारा हर बार प्रकरण को यह कहकर समाप्त कर दिया गया कि रिपोर्ट पर से जुर्म दस्तनदाजी का होना नहीं पाया जाने से आवेदक को न्यायालय में कार्रवाही करने की समझाइस दी जाती है। आवेदक द्वारा शिकायत में लगाए ग आरोप प्रमाणित नहीं पाए गए हैं।
प्रकरण 4: (सीएम हेल्पलाइन नं. 2685910 एवं 2903839)
आवेदक राकेश सिंह कुशवाह निवासी वार्ड नं.4 बुलबुल का पुरा घासमण्डी ग्वालियर
शिकायत: फूलबाग चौराहा पर एशन बिल्डर के द्वारा होटल एम.के.वेवानता ने मैन रोड पर 4 मीटर का अतिक्रमण कर एवं कॉलोनी मार्ग पर एमओएस ने टीन सेड डाल कर अतिक्रमण कर लिया है। अतिक्रमण हटाने के संबंध में संयुक्त संचालक ग्वालियर नगर और ग्राम निवेश के द्वारा 12.08.2016 को आयुक्त नगर निगम ग्वालियर को अतिक्रमण हटने के विषय में पत्र दिया गया है। निगम अधिकारी की मिली भगत के चलते आज दिनांक तक कोई भी कारवाही नहीं की गयी है
निराकरण : उक्त भवन की भवन निर्माण स्वीकति निगम द्वारा दी गई है। खिलाफ निर्माण का नोटिस जारी किया गया है जिस की जांच की कार्यवाही गतिशील है। अत: शिकायत को विलोपित किया जाना उचित है। शिकायत की स्थिति शिकायत को बंद कर दिया गया है
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