यह सही है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को अपने मंत्रियों को विभाग बांटने में पूरे 11 दिन लग गए। यह समय अपेक्षित समय से अधिक है। देरी ने कई सवाल गहरे कर दिए हैं, पर विभाग के बंटवारे में वाकई विचार विमर्श हुआ है, यह दिखाई देता है। दरअसल मंत्री परिषद का गठन एवं विभागों का आवंटन इस बार आसान काम था भी नहीं। सरकार यूं भी अभी तकनीकी रूप से ही बहुमत में है। उपचुनाव एक आम चुनाव की तरह दस्तक दे चुके हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए और सांसद बने श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपना दबाव है। स्वयं मुख्यमंत्री तीन बार के अनुभवी मुख्यमंत्री हैं तो उनकी अपनी स्वाभाविक पसंद है। चुनौती यह भी है कि ग्वालियर चंबल संभाग को आवश्यकता से अधिक प्राथमिकता देना भी है और शेष में हो रहे असंतुलन के चलते उपेक्षा को समझना भी है। वहीं केन्द्रीय नेतृत्व की यह मंशा भी है कि प्रदेश में भविष्य के लिए एक टीम भी खड़ी है। नए चेहरों को स्थान मिले, काम मिले। इस लिहाज से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को एक साथ कई मोर्चों पर कार्य करना था, स्वाभाविक है देरी हुई। पर परिणाम सुखद है। अपेक्षाओं को बराबरी का सम्मान दिया गया है वहीं संदेश भी है कि संतुलन बनाए रखने में ही सुखद सरकार की आश्वस्ति है।
जिन विभागों पर सर्वाधिक नजर रहती है उनमें जल संसाधन, राजस्व परिवहन, महिला बाल विकास, पंचायत ग्रामीण विकास ऊर्जा जैसे महकमे सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को दिए गए हैं। वहीं पार्टी ने अपने पुराने सहयोगियों के लिए गृह, संसदीय, लोक निर्माण, वाणिज्यिक कर, वित्त, नगरीय विकास, कृषि आदिम जाति, चिकित्सा शिक्षा जैसे विभाग रखे हैं। आइए एक नजर आवंटन पर बटवारे में डॉ. मोहन यादव को उच्च शिक्षा एवं श्रीमती ऊषा ठाकुर को पर्यटन संस्कृति एवं अध्यात्म देकर एक विशेष संदेश देने की कोशिश है। यह मालवा का भी महत्व दर्शाने का प्रयास है।
संंगठन में लंबे समय तक कार्य कर चुके अरविंद भदौरिया को सहकारिता देकर संगठन ने सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने की अपेक्षा जताई है जो अभी भाजपा की कमजोर कड़ी है। श्री जगदीश देवड़ा को वाणिज्यिक कर एवं वित्त देकर शिवराज सरकार ने पारदर्शिता एवं शुचिता का संदेश देने का प्रयास किया है। वहीं श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया को खेल एवं युवक कल्याण के साथ तकनीकी शिक्षा आदि देकर और विश्वास प्रकट किया गया है। श्री विजय शाह, को वन विभाग का जिम्मा एक विचारपूर्वक निर्णय दर्शाता है। इसी तरह राज्यमंत्री के रूप में ग्वालियर के भारत सिंह कुशवाह को राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार भी दिया है और नर्मदा घाटी विभाग देकर मुख्यमंत्री ने अपने पास सीधा जोड़ भी लिया है। युवा एवं ऊर्जावान विधायक श्री विश्वास सारंग को चिकित्सा शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण विभाग देकर काम का अवसर दिया है। श्री सारंग सहकारिता मंत्री के रूप में अपनी योग्यता सिद्ध कर चुके हैं। इसी तरह नगरीय निकाय भूपेन्द्र सिंह को देकर शिवराज सिंह ने अपनी पसंद को भी जाहिर किया है।
एक महत्वपूर्ण निर्णय जनसंपर्क विभाग का है। मौजूदा परिस्थिति में यद्यपि इसके चलते चुनौतियां भी हैं, पर शिवराज सिंह ने इसे अपने पास रख कर ठीक निर्णय लिया है। वहीं उद्योग जैसा महत्वपूर्ण विभाग भी मुख्यमंत्री ने स्वयं के पास रख कर स्वर्णिम प्रदेश की रचना का एक बड़ा जिम्मा अपने पास ले लिया है।
जैसी कि चर्चा थी, उपमुख्यमंत्री नहीं बने हैं। याने सत्ता के समानांतर केन्द्र नहीं बनेंगे। सिंधिया समर्थकों को भी जमीन पर काम करने के लिए महत्वपूर्ण विभाग देकर एक अच्छा अवसर दिया है। जल संसाधन जैसा महत्वपूर्ण विभाग वरिष्ठ पूर्व विधायक पहले की तरह तुलसी सिलावट के पास रहेगा, साथ में मत्स्य विभाग भी जोड़ा गया है। पंचायत ग्रामीण विकास जैसा बड़ा विभाग महेन्द्र सिंह सिसौदिया को मिलना, उनके कद को बढ़ाना है। वहीं ऊर्जा विभाग की महती जिम्मेदारी ऊर्जावान नेता प्रद्युम्न सिंह तोमर के पास है। इसी तरह इमरती देवी पहले की तरह महिला बाल विकास ही संभालेंगी।
परिवहन एवं राजस्व सिंधिया के अत्यंत विश्वसनीय गोविन्द राजपूत के पास है। राजस्व महकमा सिंधिया समर्थकों को न दें, यह सलाह बिना मांगे कांग्रेस ने दी थी। शिवराज सिंह ने उसे दरकिनार कर कांग्रेस को संदेश दिया है और सिंधिया के प्रति विश्वास प्रकट किया है। अब बारी श्री सिंधिया की भी है कि वे अब संपूर्ण भाजपा के नेता बनें, न कि अपने समर्थक पूर्व विधायकों के। अगर वह ऐसा करने में सफल रहे तो यह उनके लिए सुखद होगा।