शशि थरूर का बयान - हिंदूत्व को कांग्रेसी उपहार: "भगवा आतंकवाद" के बाद "हिंदू पाकिस्तान"
प्रवीण गुगनानी
विश्व के सुप्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ, राजनयिक, शासक व ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि "इतिहास पढ़िए ,इतिहास पढ़िए . इतिहास में ही राज्य चलाने के सारे रहस्य छिपे हैं". इस बात को यदि हम हम कांग्रेस की भाषा में कहें तो यह बात कुछ इस तरह प्रस्तुत होगी – "इतिहास पढ़िए, इतिहास पढ़िए तुष्टिकरण कीजिये, तुष्टिकरण कीजिये क्योंकि तुष्टिकरण करके ही मुस्लिमों के एक मुश्त वोट, और उस वोट से सत्ता पाई जा सकती है".
शशि थरूर का यह कहना है कि – "यदि २०१९ में भाजपा लोकसभा के चुनावों में विजयी रहती है तो भारत "हिंदू पाकिस्तान" बन जाएगा, से कांग्रेस का कुत्सित इतिहास और चरित्र ही उजागर होता है. जैसे इस देश में न तो कभी भगवा आतंकवाद था और न ही भगवा अर्थात हिंदुत्व आतंक के मार्ग को चुन सकता है; उसी प्रकार यह देश कभी पाकिस्तान भी नहीं बन सकता. हाँ, अब यह अवश्य होगा कि जिस प्रकार कांग्रेस ने "भगवा आतंकवाद" जैसे महाझूठ शब्द को सिद्ध करने हेतु तमाम कुत्सित प्रयत्न किये वैसे ही अब वह "हिंदू पाकिस्तान" जैसे घृणित शब्द को सिद्ध करने हेतु भी तरह तरह के प्रहसन व नौटंकियों का सहारा ले सकती है. गांधी जी से लेकर राहुल तक की कांग्रेस ने हिंदुओं को बहलाने व मुस्लिमों को फुसलाने के अलावा कोई सामाजिक इंजीनियरिंग कभी की ही नहीं है. सो थरूर उस मुस्लिम तुष्टिकरण की कांग्रेसी माला के अगले मनके भर हैं, इससे रत्ती भर भी अधिक नहीं और तोला भर भी कम नहीं!! "हिंदू पाकिस्तान" शब्द, केन्द्रीय गृहमंत्री व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशिल शिंदे, चिंदम्बरम, मणिशंकर व दिग्विजय सिंह के "हिंदू आतंकवाद" जैसे कुत्सित, निराधार व झूठे शब्द का तनिक विस्तार भर है. सम्पूर्ण देश को याद ही होगा कि किस प्रकार २०१४ में नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान के उत्तर में कांग्रेस की सांसे फूल गई थी और उसने हर नुक्कड़, हर गली और हर सभा में केवल एक ही बात रटना प्रारम्भ की थी कि यदि नरेंद्र मोदी चुनाव जीते तो भारत में मुस्लिमों का रहना मुश्किल हो जाएगा और मुस्लिमों का सफाया कर दिया जाएगा. कांग्रेस की विशेषता और स्थायी चरित्र (दुष्चरित्र) रहा है मुस्लिमों का तुष्टिकरण! इस मुस्लिम तुष्टिकरण की राह में गांधी जी से लेकर राहुल गांधी तक की कांग्रेस ने तमाम प्रकार के छल, कपट प्रपंच व हथकंडो को अपनाया है. इसमें कोई शक नहीं की कांग्रेस की मुस्लिमों के प्रति अतीव सहानुभूति व मौके बेमौके नर्म रवैये के पीछे प्रारंभिक कारण मोहनदास करमचंद गांधी ही रहे. बापू की मुस्लिमों के संदर्भ में अतिरिक्त नरमी बताने, मुस्लिमों के प्रति दृष्टि बदलने या मुस्लिमों की तुष्टिकरण करने के पीछे का कारण एक कथित घटना को माना जाता है. - हुआ यह कि 1908 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार ने वहां रहने वाले भारतीयों पर 3 पौंड का टेक्स लगाया, इसे लेकर गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया जिसे मुसलमानों ने सहयोग नहीं दिया तब गाँधी जी ने इस विषय पर मुस्लिमों को साथ न देने हेतु कोसा व इसकी जबरदस्त आलोचना की. गांधी जी ने एक सामूहिक कार्यक्रम में इस्लाम पर कड़ी बात भी कही जिससे अफ़्रीका में बसे मुसलमान क्रुद्ध हो उठे. अफ़्रीकी मुस्लिम समुदाय ने 10 फरवरी 1908 को मीर आलम नामक पठान के नेतृत्व में कुछ मुस्लिमों ने गाँधी जी की बेरहमी से पिटाई कर दी और जान से मार डालने की धमकी भी दी. बाबासाहेब ने भी स्वीकार किया कि इस घटना के बाद ही गाँधी जी में बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आया व उन्होंने मुस्लिमों के प्रति कुछ भी कहना सुनना बंद कर दिया और साथ ही मुस्लिमों की सभी गलतियों के प्रति भी अनदेखी का व्यवहार करते रहे. गांधी और गांधी के प्रभाव में कांग्रेस की "मुस्लिम तुष्टिकरण" की नीवं स्वतंत्रता आंदोलन के प्रारंभिक दिनों में ही पड़ गई थी. खेद है की स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी कांग्रेस ने अपना मुस्लिम तुष्टिकरण का यह स्वभाव न केवल यथावत रखा अपितु वह मुस्लिम तुष्टिकरण की राह में नित नए आयाम स्थापित करते चली गई. इस मुस्लिम तुष्टिकरण के अगले अध्याय का नाम है "कांग्रेस द्वारा गढ़ा गया शब्द "भगवा आतंकवाद" और उसके बाद कांग्रेस द्वारा ही गढ़ा गया "हिंदू पाकिस्तान" शब्द.
देश की कड़वी स्मृतियों में बसा है कांग्रेस द्वारा हिंदुत्व को उपहार में दिया गया शब्द "भगवा आतंकवाद" और अब हिंदुत्व को कांग्रेस का यह दुसरा शाब्दिक उपहार "हिंदू पाकिस्तान" भी सदैव कड़वी स्मृतियों में भी रहेगा व इतिहास में भी काले पन्नो पर लिखा जाएगा. आज भी देश के हिंदुओं की कटुतम व तीखी स्मृतियों में आज भी बसे हैं वे दिन जब कांग्रेस ने सम्पूर्ण देश में "भगवा आतंकवाद" जैसा निराधार व झूठा शब्द हर मंच से उठाया था व कांग्रेस के हर छोटे बड़े नेता ने इस शब्द को बार बार दोहराया था. ऐसा नहीं है कि कांग्रेस का यह हिंदू विरोधी चरित्र संघ, भाजपा या नरेन्द्र मोदी के भय से जागृत हुआ हो. कांग्रेस तब से हिंदू विरोधी रही है जब भारतीय राजनीति के परिदृश्य में संघ, जनसंघ, भाजपा या नरेंद्र मोदी किसी गणना में भी नहीं बैठते थे. कांग्रेस को सदैव मुस्लिमो को प्रसन्न रखना व उनके एक मुश्त वोट पाकर चुनाव जीतने का फार्मूला भर याद रहा. देश की कटुक-बिटुक स्मृतियों में बसा है आज भी पिछले ढ़ाई दशकों में चलाया गया वह हिंदुत्व विरोधी अभियान जिसकी जनक कांग्रेस रही व कांग्रेस प्रेरित केन्द्रीय व विभिन्न राज्यों की सरकारी जांच एजेंसियां रही. मक्का मस्जिद विस्फोट, अजमेर दरगाह ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मालेगांव ब्लास्ट, स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय ये सारे सारे के नाम और घटनाओं को कांग्रेस ने "भगवा आतंकवाद" के नाम पर दुष्प्रचारित किया. न केवल दुष्प्रचारित किया बल्कि सरकारों जांच एजेंसियों पर कांग्रेसी सरकारों ने अंधाधुंध दबाव बनाया व इन घटनाओं मे निर्दोषों को दोषी बनाया गया. वर्षों इन निरपराध हिंदुओं को "भगवा आतंकवाद" के आरोप में जेलों में बेतरह व क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मामले में कांग्रेस की शह पर जेल में इतनी अमानवीय यातनाएं दी गई की वे कैंसर का शिकार हो गई. इस देश ने बाद में यह भी देखा की उपरोक्त सभी "भगवा आतंकवाद" के आरोपी दीर्घ यातनाओं व जांचों को भुगतने के पश्चात बरी होते चले गए. कांग्रेस का गढ़ा हुआ शब्द "भगवा आतंकवाद" एक कागजी शब्द भर सिद्ध हुआ. समुचे देश ने देखा की "भगवा आतंकवाद" शब्द, जिसे कांग्रेस के प्रधानमंत्री, दसियों केन्द्रीय मंत्री, कई मुख्यमंत्री व सैकड़ों जांच अधिकारी दोहरा दोहरा कर थक गए वह शब्द अंततः झूठ का पिटारा सिद्ध हुआ. यह भी अतीव हैरानी व क्रोध जागृत करने वाला विषय है कि इन मामलों में से एक लुधियाना मामले में यह पाया गया की पाकिस्तान की मदद से बब्बर खालसा ने इसे अंजाम दिया था. मालेगांव मामले में भी पाकिस्तान का हाथ सिद्ध हुआ. "भगवा आतंकवाद" से जिस हैदराबाद मामले को बड़े जोर शोर से जोड़ा गया उसमें शाहीद व बिलाल नाम के दो मुस्लिम आरोपी पाए गए. पुलिस व एटीएस की जांच में यह स्वीकार किया गया कि इस मामले के व मक्का मस्जिद काण्ड के मास्टर माइंड एक ही थे. मालेगांव ब्लास्ट में भी सिमी का हाथ पाया गया.
जैसे "भगवा आतंकवाद" नहीं हो सकता वैसे ही भारत या हिन्दुस्थान कभी "हिंदू पाकिस्तान" नहीं बन सकता, इस बात को कांग्रेस सदैव अपनी स्मृति में रखे यही उत्तम होगा, और हां, इस नए गढ़े हुए शब्द की सजा भुगतने हेतु भी तैयार रहे.