भारत के आर्थिक विकास पर बेवजह विवाद क्यों ?
देश के लिए भी यह अच्छी खबर है कि भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज दौड़ रही है। चीन और अमेरिका भी फिलहाल जीडीपी ग्रोथ में हम से पीछे चल रहे हैं।
विश्वभर में सभी देशों के बीच भारत तेजी के साथ आर्थिक विकास की दौड़ लगा रहा है। तमाम आलोचनाओं और विरोधों के बीच निरंतर भारत का विकास दर में आगे होते जाना इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार आर्थिक मोर्चे पर अच्छा कार्य कर रही है, फिर इसे लेकर विपक्ष नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों को लेकर सरकार को घेरने के कितने ही प्रयत्न क्यों न करे । इस बीच जो एक सबसे बड़ी बात सामने आ रही है वह लगातार कांग्रेस और खासकर इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा केंद्र सरकार को आर्थिक मोर्चे पर घेरना और यह दर्शाना कि देश की जीडीपी गिर रही है और हम विकास में पिछड़ रहे हैं। किंतु क्या यह सच है ? हाल ही में जो जीडीपी के आंकड़े आए हैं वह स्पष्ट तौर पर बता रहे हैं कि भारत दो साल के बाद 8% से ज्यादा जीडीपी हासिल करने में सफल रहा है, बनिस्पत इसके बावजूद की देश के चार बड़े सेक्टरों में गिरावट का दौर जारी है।
देश के लिए भी यह अच्छी खबर है कि भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज दौड़ रही है। चीन और अमेरिका भी फिलहाल जीडीपी ग्रोथ में हम से पीछे चल रहे हैं। हाल ही में आए अप्रैल-जून तिमाही के आंकड़े कह रहे हैं कि देश की विकास दर इस दौरान 8.2% रही है। हालांकि हम इसके पूर्व अप्रैल-जून 2016 में 9.2 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ हासिल कर चुके हैं। कुल मिलाकर अर्थशास्त्रियों की जो समान राय बनी है, वह भारत को लेकर स्पष्ट है कि यह साल पूरा होने तक भारत की विकास दर 7.5% से अधिक अवश्य ही रहेगी जो इस बात का प्रमाण भी है कि नोटबंदी के बाद से देश की विकास दर को लेकर लगातार मोदी सरकार पर जो हमले बोल रहे हैं, उनकी तमाम बातें सिर्फ काल्पनिक ही साबित हो रही हैं।
तिमाही के आए इन जीडीपी आंकड़ों में जो अच्छी बात नजर आ रही है वह है मैन्युफैक्चरिंग, कृषि और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगारों का मिलना। मैन्युफैक्चरिंग में यह ग्रोथ सबसे अधिक 13.5 प्रतिशत है जोकि एक साल में 8 गुना वृद्धि दर्शा रहा है। कंस्ट्रक्शन में लगातार वृद्धि हुई है और यहां 8.7 प्रतिशत की वृद्धि है। इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में हुई वृद्धि देखें तो बिजली, गैस और पानी में 7.3% वृद्धि देखने को मिली है। ट्रेड, होटल, कम्युनिकेशन में यह 6.7 दिख रही है। फाइनेंस, रियल सेक्टर में 6.5% और कृषि में पांच 5.3 प्रतिशत बनी हुई है। सीधे तौर पर केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों में यह स्पष्ट दिख रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7% से ज्यादा की विकास दर देने वालों में मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, बिजली, गैस, वॉटर सप्लाई, डिफेंस जैसे सेक्टर शामिल हैं।
वस्तुत: इस ग्रोथ के पीछे जो एक बड़ा कारण समझ आ रहा है वह 10.65 लाख करोड़ का भारी-भरकम पूंजी निवेश भी है। मोदी सरकार की सफल आर्थिक नीतियों के कारण से दुनियाभर के देशों में भारत के प्रति विश्वास बढ़ा है। यहां के उद्योगपतियों को लगता है कि भारत वर्तमान समय में चीन से भी अधिक निवेश के लिए सही जगह है। तभी तो चीन की इस तिमाही में 6.7 प्रतिशत तक यह ग्रोथ रही है। इसी तरह से अन्य प्रमुख देशों अमेरिका में 4.2, जापान 1.9, जर्मनी 0.5, इंग्लैंड 0.4 प्रतिशत ही ग्रोथ कर पाए हैं। जिसे देखकर लगता है कि मोदी सरकार में निवेश का पहिया अब रफ्तार पकड़ चुका है।
भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ बातें आरबीआइ ने भी कही हैं और हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किस तरह से जुलाई के पहले पखवाड़े तक बैकिंग क्रेडिट में 12.44 फीसद का इजाफा हुआ है। यह वृद्धि टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग, खाद्य प्रसंस्करण, रसायन व रसायनिक उत्पाद, सीमेंट व सीमेंट उत्पाद में निवेश की रफ्तार बढ़ने की वजह से हुई है। जबकि इन सभी उद्योगों में बैंकिंग लोन की रफ्तार काफी लम्बे समय से ठप पड़ी हुई थी। देश में लोगों के खर्च की रफ्तार बढ़ी है जिसके संकेत जीडीपी के आंकड़ों से मिल रहे हैं। इससे उन आरोपों की समाप्ति भी हो जाती है जो लगातार विपक्ष द्वारा केंद्र की भाजपा सरकार पर लगाए जाते रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि देश में रोजगार की स्थिति बेहद खराब है। अकेले मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 13 फीसद से ज्यादा की वृद्धि दर इस बात का प्रमाण है कि सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले इस क्षेत्र में हालात मोदी सरकार में सुधर रहे हैं।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 8.2 फीसद की विकास दर को शानदार बताया ही है और उम्मीद भी जताई है कि अगली तिमाहियों में इसी तरह तेज रफ्तार दिखाई देगी। वे यह कहने से भी गुरेज नहीं करते कि सरकार की ओर से 7.8 फीसद विकास दर का अनुमान जताया था लेकिन 8.2 फीसद विकास दर अच्छी खबर है। इनकी तरह ही प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के प्रमुख बिबेक देवराय का भी यह स्पष्ट तौर पर मानना है कि 8.2 फीसद विकास दर से यह साबित होता है कि देश के आर्थिक हालात अच्छे हैं।
वस्तुत: इन दोनों का यह कथन सही भी जान पड़ता है कि भारत ने अपनी तेज विकास दर मोदी सरकार द्वारा किए गए संगठनात्मक सुधारों और मौजूदा नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन के परिणाम स्वरूप ही प्राप्त की हुई दिखाई देती है। ग्लोबल स्तर पर अनिश्चितता और कच्चे तेल में उथल-पुथल के बावजूद तेज विकास दर से पता चलता है भारत के प्रति विश्वभर में आर्थिक मोर्चे पर विश्वास बना हुआ है।
आज भारत में प्रति व्यक्ति आय 1975 डॉलर (1.40 लाख रु.) प्रतिवर्ष हो गई है। दुनिया के अमीर देशों को जीडीपी ग्रोथ से हो सकता है कि कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता होगा लेकिन यह भारत जैसे एक गरीब और विकासशील देश के लिए बहुत मयने रखता है, जहां इस वृद्धि के अत्यधिक फायदे दिखाई देते हैं। मानव विकास या अन्य सूचकांकों के लिए इस विकास दर की वृद्धिकी अपनी महत्ता है। विश्वभर में इसी के माध्यम से हमारी आर्थिक ग्रोथ तय होती है। मोदी सरकार ने जो विकास के लिए सतत ऊंची आर्थिक वृद्धि, नौकरियां और विश्व अर्थव्यवस्था के प्रति खुलापन का जो रास्ता वर्तमान में अपनाया हुआ है, वास्तव में उसी से होकर भारत का समृद्धि का रास्ता आगे जाता है। इसलिए जो लोग और राजनीतिक पार्टियां वर्तमान केंद्र सरकार का सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं, वह व्यर्थ है। भारत के आर्थिक विकास को लेकर कोई राजनीतिक विवाद नहीं होना चाहिए, इससे किसी को कोई फायदा तो नहीं पहुंचेगा, हां, इतना जरूर है कि भारत की विश्वभर में छवि अवश्य ही धूमिल होती है और देश के आमजन का आत्मविश्वास डगमगा उठता है, जोकि कहीं से भी सही नहीं है।
लेखक पत्रकार एवं फिल्म सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य हैं