पंद्रह साल के कामकाज को लेकर जनता के बीच उतरेंगे नीतीश बाबू

मुख्यमंत्री ने विधिवत प्रचार की शुरूआत करते हुए पेश किया लेखा-जोखा

Update: 2020-03-02 09:50 GMT

नई दिल्ली/पटना। बिहार के मुख्यमंत्री जदयू प्रमुख नीतीश बाबू ने पटना के मैदान से रविवार को विधानसभा चुनाव के प्रचार का श्रीगणेश कर दिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते हुए दावा किया कि लोकसभा चुनाव की तरह ही पार्टी विधानसभा चुनाव में भी दो सौ कहीं अधिक सीटें जीतकर आएगी। राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ मुलाकात के मुगालतों को दूर करते हुए नीतीश ने स्पष्ट किया है कि वे राजग के साथ ही चुनाव लड़ेंगे। यानि मंच राजग का रहेगा, लेकिन मुददे अपने और 15 साल का कामकाज। हाल के विधानसभा चुनावों के परिणामों के रूख को भांपते हुए नीतीश इस बात को गंभीरता से समझ रहे हैं कि राज्यों के चुनाव स्थानीय मुद्दों पर जीते जा रहे हैं और इस लिहाज से उनका कामकाज औरों की तुलना में अगर बीस नहीं तो उन्नीस भी नहीं है। सो नीतीश कुमार ने रविवार को लालू-राबड़ी के 15 साल के शाासन की तुलना अपने 15 साल से कर दी। साथ ही जनता से वादा किया कि सरकार वापस आई तो हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाएंगे। नीतीश बाबू की इस बात में बाकई दम है कि बिहार में अगर सिंचाई के साधन सध जाएं तो फसलें लहलहा उठेंगी। और किसानों के चेहरे भी खिल जाएंगे।

जिन राज्यों में भाजपा चुनाव हारी है तो उसके पीछे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि वहां स्थानीय नेतृत्व का सर्वथा अभाव रहा है लेकिन बिहार में राजग के साथ कम से कम ऐसा नहीं है, उसके पास नीतीश कुमार के रूप में एक सशक्त व दूरदर्शी नेतृत्व है। नीतीश कुमार के साथ मुसलिम समुदाय पूरे भरोसे के साथ अपना और बिहार के भविष्य को सुरक्षित देखता है, इसके इतर राज्य का कुर्मी समुदाय भी नीतीश की बेजोड़ ताकत है। भाजपा का बहुसंख्यक सवर्ण वोट और लोक जनशक्ति पार्टी का अपना जनाधार राजग को अपराजेय बनाता नजर आ रहा है। उन्होंने जिस तरह अपने 15 साल के काम का लेखा-जोखा रखा, उससे नीतीश ने दिखाया कि अपने सुशासन के प्रति वे पूरी तरह आश्वस्त है।

पटना के मैदान में नीतीश बाबू डेढ़ घंटे तक कार्यकर्ताओं के साथ संवाद बनाते नजर आए। उनका सवंाद भले ही कार्यकर्ताओं के साथ था लेकिन संदेश बिहार की जनता के लिए। नीतीश ने मंच से बार-बार दोहराया कि बिहार की जनता का विकास और उनकी भलाई के लिए राजग सरकार मुस्तैदी से खड़ी है। लिहाजा एनआरसी और एनआरपी जैसे मुद्दों पर लोगों को फैले हुए भ्रम से बचना चाहिए। कभी नीतीश का दाहिना हाथ माने जाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की प्रेस कांफ्रेंस से नीतीश नाराज जरूर है पर प्रशांत को वे चुनौती के तौर पर नहीं देखते। 15 साल के शासन के दौरान बिहार में रूके हुए पलायन के मद्देनजर वे आश्वस्त हैं कि बिहार में विकास और युवाओं को रोजगार मिला है। हालांकि यह पर्याप्त नहीं और इस दिशा में काम करने की काफी गुंजाइश है। फलसफा यही है कि कुछ मुद्दों को लेकर बिहार की जनता नीतीश बाबू से नाराज तो हो सकती है पर अभी भी वे बिहार के उम्दा विकल्प बने हुए हैं। तभी नीतीश बाबू ने जनता की बचीखुची नराजगी को दूर करने का सबसे बड़ा दांव चल दिया है, इस वादे के साथ कि सत्ता में वापस आए तो हर खेत पर सिंचाई का पानी पहुंचा देंगे।

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