नई दिल्ली। बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर लोकसभा चुनाव वाला फार्मूला लागू होने की संभावना नहीं है। नए माहौल और विधानसभा चुनाव की अलग रणनीति को देखते हुए घटक दल नए सिरे से रणनीति तय करेंगे। इसमें भाजपा-जद (यू) के बीच पुराने विधानसभा चुनाव के समझौतों के साथ नई परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाएगा।
एनडीए के घटक दलों के बीच अभी औपचारिक बैठक तय नहीं है, लेकिन संभावित सीटों को लेकर घटक दल एक-दूसरे का मन टटोल रहे हैं। चुनाव में एनडीए के मुख्य दल- जद (यू) , भाजपा और लोजपा ही होंगे। लेकिन अगर कोई और दल साथ आना चाहे तो उसे भी समायोजित किया जा सकता है।
इस बीच चुनाव को लेकर विभिन्न दलों के नेताओं ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा ने भी वर्चुअल बैठकों के जरिए अपने कैडर को सक्रिय किया है और अब मंडल स्तर पर चुनावी रणनीति बननी शुरू हो गई है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव लगातार प्रदेश नेतृत्व के साथ चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। हालांकि सीटों का बंटवारा अभी होना बाकी है, लेकिन पार्टी सभी क्षेत्रों में अपनी तैयारी कर रही है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा की लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग हैं। ऐसे में सीटों का बंटवारा लोकसभा चुनाव के माहौल और रणनीति के आधार पर नहीं हो सकता है। हालांकि मोटे तौर पर जद (यू) को ज्यादा सीटें मिलने की संभावना है। इस नेता का कहना है कि सीटों की संख्या और सीटों का चयन- दोनों को लेकर जब सभी नेता साथ बैठेंगे तो तय कर लिया जाएगा।