बिहार विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पास, 50 फीसदी से बढ़कर 75% किया गया

राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद कानून बनेगा

Update: 2023-11-09 10:01 GMT

बिहार विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पास

पटना। बिहार विधानसभा में शीतकालीन सत्र के चौथे दिन आरक्षण संशोधन विधेयक-2023 पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।राज्य सरकार द्वारा जातीय गणना कराए जाने के बाद बिहार में आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत करने का सरकार ने प्रस्ताव दिया है, जिसका बीजेपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने समर्थन किया है। नीतीश सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट के आधार पर राज्य में आरक्षण का दायरा 15 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिल चुकी है।

राज्य में ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी वर्ग को मिलाकर अभी जो 50 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है, उसे बढ़ाकर 65 फीसदी किया जाना है। इसके अलावा ईडब्ल्यूएस केटेगरी को 10 प्रतिशत आरक्षण अलग से मिलता रहेगा। इस तरह राज्य में कुल 75 प्रतिशत आरक्षण किए जाने का प्रस्ताव है। इसमें पिछड़ा वर्ग को 18 फीसदी, अति पिछड़ा वर्ग को 25 फीसदी, एससी को 20 फीसदी और एसटी को दो फीसदी आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। विधानसभा में पास होने के बाद इसे विधानपरिषद से भी पास कराया जाएगा। दोनों सदनों से बिल पारित होने के बाद सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजेगी। आरक्षण में 9 संशोधन हैं।

नीतीश के बयान पर हंगामा - 

इससे पहले बिहार विधानसभा में शीतकालीन सत्र का चौथे दिन गुरुवार को दिन कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया और भाजपा विधायक वेल में पहुंच गए। भारी हंगामे के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी है।शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सदन में दिए गए अमर्यादित बयान को लेकर विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सदन के भीतर और बाहर अपने बयान के लिए माफी मांगने के बावजूद विपक्षी दल मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। सदन में सरकार की तरफ से जातीय गणना पर चर्चा के बाद से विधानमंडल के दोनों सदनों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ रही है। 

इस्तीफे की मांग - 

विधानसभा में आज कार्यवाही शुरू होने के साथ ही भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के विधायक, मुख्यमंत्री से उनके अमर्यादित बयान के लिए इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह से दोनों सदनों की गरिमा को आघात पहुंचाया है, सिर्फ माफी मांग लेना भर काफी नहीं है। मुख्यमंत्री के बयान के कारण पूरे विश्व में भारत की बेइज्जती हुई है।

Tags:    

Similar News