पटना। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर द्वारा अंतरराष्ट्रीय पॉप स्टार रिहाना और समाजसेवी ग्रेटा थनबर्ग से भारत के किसान आंदोलन में हस्तक्षेप न करने की अपील राष्ट्रीय जनता दल को नागवार गुजरी है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिए जाने का विरोध किया है। उन्होंने साफ कहा कि ऐसे लोगों को भारत रत्न नहीं देना चाहिए जो प्रोफेशनल हों। उनके मुताबिक सचिन एक पेशेवर खिलाड़ी हैं और वह हर काम के लिए पैसे लेते हैं। वे भारत रत्न से सम्मानित होने के बाद भी व्यावसायिक विज्ञापन करते हैं। तिवारी ने कहा कि ऐसे लोगों से भारत रत्न वापस ले लेना चाहिए। वे देश के सर्वोच्च सम्मान का अपमान कर रहे हैं।
तेंदुलकर ने किया ये ट्वीट
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भारत की संप्रभुता के साथ समझौता नहीं हो सकता। विदेशी ताकतें सिर्फ देख सकती हैं लेकिन हिस्सा नहीं ले सकतीं। भारत को भारतीय जानते हैं और इसके लिए फैसला भारतीय को ही लेना चाहिए। आइए एक राष्ट्र के तौर पर एकजुट रहें।
पहले भी कर चुके विरोध -
शिवानंद तिवारी ने सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने का तब भी विरोध किया था जब वर्ष 2013 में सचिन तेंदुलकर को रातों-रात भारत रत्न के लिए नामित कर दिया गया था। शिवानंद तिवारी ने कहा कि सचिन तेंदुलकर से पहले हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद को भारत रत्न देना चाहिए था।जिन्होंने हिटलर के ऑफर को ठुकराते हुए भारत के गुलाम होने के बावजूद देश के लिए खेलना नही छोड़ा। ध्यानचंद ने तीन-तीन बार भारत को ओलंपिक का गोल्ड मेडल जिताया था। जबकि सचिन तेंदुलकर पैसों के लिए खेलते थे। अभी भी वे विज्ञापन करके पैसे कमा रहे हैं। ऐसा करके वे भारत रत्न का अपमान कर रहे हैं।
2013 में मिला भारत रत्न -
बता दें कि सचिन तेंदुलकर भारत रत्न पाने वाले देश के पहले खिलाड़ी हैं। वर्ष 2013 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न प्रदान किया था। सचिन ने वर्ष 2013 में मुबंई में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना अंतिम और 200वां टेस्ट खेलकर संन्यास ले लिया था। आखिरी टेस्ट के दौरान ही भारत सरकार ने उन्हें यह सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा की थी। जब सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिया गया था, उस समय वे राज्यसभा के सदस्य भी थे।