बलौदाबाजार हिंसा केस: देवेंद्र यादव समेत 7 पर आरोप तय, कोर्ट में ट्रायल शुरू; गवाहों के बयान होंगे दर्ज

Update: 2025-04-03 02:30 GMT
देवेंद्र यादव समेत 7 पर आरोप तय, कोर्ट में ट्रायल शुरू; गवाहों के बयान होंगे दर्ज
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Balodabazar Violence Devendra Yadav : छत्तीसगढ़। बलौदाबाजार में जून 2024 को हुई हिंसा और आगजनी के मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय में 2 अप्रैल 2025 को सुनवाई हुई। इस केस में भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव समेत 7 लोगों पर आरोप तय किए गए हैं। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की विभिन्न धाराओं के तहत अभियोग तय किया है। अब इन सभी पर बलौदाबाजार आगजनी कांड के आरोपी के रूप में मुकदमा चलेगा। सुनवाई के बाद अगली तारीख पर अभियोजन पक्ष अपने साक्ष्य पेश करेगा।

कोर्ट में सुनवाई 

विशेष लोक अभियोजक मुकुंद देशपांडे ने बताया कि 10 जून 2024 को बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में सतनामी समाज की एक आमसभा हुई थी, जिसे आंदोलन सभा का नाम दिया गया। इस सभा में दिए गए भाषणों, उकसावे और षड्यंत्र के कारण हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में अभियोग पत्र पेश किया था, जिसके आधार पर कोर्ट ने आज आरोप तय किए।

आरोपियों पर IPC की धारा 153A (धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाना), 505(1) (उकसाने वाले बयान), 120B (आपराधिक षड्यंत्र), 147 (दंगा), 148, 149, 186 (सार्वजनिक कार्य में बाधा), 353 (लोक सेवक पर हमला), 332, 333, 307 (हत्या का प्रयास), 435, 436 (आगजनी), 441 (अपराधिक अतिक्रमण), 427 (संपत्ति को नुकसान), 201 (सबूत मिटाना), और लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 और 4 के तहत अभियोग तय किया गया है। सभी आरोपियों ने कोर्ट में आरोपों से इनकार किया है। अब ट्रायल की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें अभियोजन पक्ष अपने गवाह और साक्ष्य पेश करेगा।

आरोपी कौन-कौन?

इस मामले में भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव के अलावा दिनेश कुमार चतुर्वेदी, मोहन बंजारे, किशोर नौरंगे, राजकुमार सतनामी, ओमप्रकाश बंजारे और नितेश उर्फ निक्कू टंडन को आरोपी बनाया गया है। सभी आरोपी सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद थे।

देवेंद्र यादव की प्रतिक्रिया

कोर्ट में पेशी के बाद विधायक देवेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने बीजेपी सरकार पर निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप लगाया। यादव ने कहा, "बलौदाबाजार कांड में प्रशासन ने निर्दोष लोगों को जेल में डाला, 8-9 महीने तक प्रताड़ित किया और उनके परिवारों को परेशान किया। कोर्ट ने हमें जमानत दी, और हमें सुप्रीम कोर्ट पर भी पूरा भरोसा है। अब ट्रायल शुरू होगा, और हमें विश्वास है कि सभी निर्दोष साबित होंगे।"

यादव ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मामले को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने दावा किया कि अगर भविष्य में कांग्रेस की सरकार बनती है, तो इस केस को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले की सही जांच नहीं हुई, बल्कि केवल राजनीति के तहत लोगों को चिन्हित कर जेल में डाला गया।

क्या है बलौदाबाजार हिंसा

10 जून 2024 को बलौदाबाजार में सतनामी समाज के एक प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। प्रदर्शनकारी सतनाम पंथ के पवित्र स्थल "जैतखाम" को क्षतिग्रस्त करने की घटना का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान संयुक्त जिला कार्यालय भवन, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, तहसील कार्यालय और अन्य सरकारी संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। इस हिंसा में कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया, और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने इस मामले में 13 FIR दर्ज की थीं, जिसमें से अपराध क्रमांक 386/2024 के तहत देवेंद्र यादव समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया गया।

आरोपियों के वकील अनादि शंकर मिश्रा ने बताया कि प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किलों पर लगाए गए आरोप निराधार हैं, और वे ट्रायल में अपनी बेगुनाही साबित करेंगे। मिश्रा ने यह भी कहा कि इस मामले में सही जांच नहीं हुई, और कई निर्दोष लोगों को फंसाया गया है।

पुलिस ने 150 से अधिक लोगों को लिया था हिरासत में 

बलौदाबाजार हिंसा ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी थी। इस घटना में सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इस मामले में 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें से कई को बाद में जमानत मिल गई। हालांकि, देवेंद्र यादव और अन्य 6 लोगों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। इस मामले की जांच के दौरान कई सवाल उठे, जिसमें यह भी शामिल था कि क्या हिंसा के पीछे कोई सुनियोजित साजिश थी।

इस मामले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी भूचाल ला दिया। कांग्रेस ने इसे साजिश करार दिया, जबकि बीजेपी ने इसे कांग्रेस नेताओं की उकसावे की कार्रवाई बताया। बीजेपी नेताओं का कहना है कि सतनामी समाज के प्रदर्शन को कांग्रेस नेताओं ने भड़काया, जिसके चलते हिंसा हुई। दूसरी ओर, कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी सरकार ने इस मामले का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए किया।

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