दतिया।सेंवढ़ा से दो बार विधायक रहे वर्तमान भाजपा जिला महामंत्री रामदयाल प्रभाकर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। श्री प्रभाकर ने अपने इस्तीफे के बाद स्वदेश से चर्चा में कहा कि भाजपा संगठन में बैठे पदाधिकारी केवल मोहरा हैं, रिमोट किसी और के पास है। पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा होती है। उनका अपमान किया जा रहा है। तानाशाह रवैये से ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं, जिससे भविष्य में पार्टी का नुकसान होगा। पर दुख की बात यह है कि केंद्रीय समिति के पास जब शिकायत की तो वहां भी सुनवाई नहीं हो रही। श्री प्रभाकर ने कहा कि अपने राजनैतिक जीवन में पहली बार दुखी मन से भाजपा छोड़ रहा हूं। उन्होंने किसी नई पार्टी में जाने की संभावनाओं पर कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस्तीफे की पेशकश के बाद किसी बड़े नेता ने आपसे चर्चा की, इस पर उन्होंने कहा कि जब पिछले 12 साल से किसी ने कोई चर्चा नहीं की, तब अब कौन करेगा।
श्री प्रभाकर उज्जैन में व्याख्याता पद पर कार्यरत थे। 1990 में उन्होंने पद से त्यागपत्र देकर सेवढा विधानसभा से चुनाव लड़ा। वह केवल 220 मतों से चुनाव हारे। इसके बाद 1993 में उन्होंने महेंद्र बौद्ध को चुनाव हराया। पहली बार विधायक बने पर 1998 में पार्टी ने डा आशाराम अहिरवार को मैदान में उतारा और डा अहिरवार चुनाव हार गए। 2003 में पुन: टिकट मिलने पर श्री प्रभाकर ने तत्कालीन गृहमंत्री महेंद्र बौद्ध को बड़े अंतर से चुनाव हराया। 2008 तक विधायक रहने के बाद से वह संगठन में सक्रिय हो गए। वर्तमान में श्री प्रभारी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य है। साथ ही भाजपा में जिला महामंत्री भी हैं। पिछले कुछ दिनों से वह पार्टी संगठन की उपेक्षा से नाराज चल रहे थे।पूर्व विधायक श्री प्रभाकर ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा को इस्तीफा भेजा है, जिसकी एक प्रति भाजपा दतिया अध्यक्ष को भी दी गई है।