'मुस्लिम महिला अधिकार दिवस' के रूप में दर्ज है एक अगस्त की तारीख: नकवी

Update: 2020-07-22 15:08 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए बने तीन तलाक विरोधी कानून का जिक्र करते हुए कहा कि एक अगस्त, मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा, कुरीति से मुक्त करने का दिन, भारत के इतिहास में 'मुस्लिम महिला अधिकार दिवस' के रूप में दर्ज हो चुका है।

नकवी ने बुधवार को लिखे एक लेख 'तीन-तलाक- बड़ा रिफॉर्म-बेहतरीन रिजल्ट' में कहा है कि वैसे तो अगस्त, इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं के पन्नों से भरपूर है, आठ अगस्त 'भारत छोडो आंदोलन', 15 अगस्त भारतीय स्वतंत्रता दिवस, 19 अगस्त 'विश्व मानवीय दिवस' , 20 अगस्त 'सद्भावना दिवस', पांच अगस्त को 370 खत्म होना, जैसे इतिहास के सुनहरे लफ्जों में लिखे जाने वाले दिन हैं। वहीं एक अगस्त, मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा, कुरीति से मुक्त करने का दिन, भारत के इतिहास में 'मुस्लिम महिला अधिकार दिवस' के रूप में दर्ज हो चुका है।

'तीन तलाक' या 'तलाक ए बिद्दत' जो ना संवैधानिक तौर से ठीक था, ना इस्लाम के नुक्तेनजर से जायज़ था। फिर भी हमारे देश में मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न से भरपूर गैर-क़ानूनी, असंवैधानिक, गैर-इस्लामी कुप्रथा 'तीन तलाक', 'वोट बैंक के सौदागरों' के 'सियासी संरक्षण' में फलता- फूलता रहा। उन्होंने तीन तलाक की कुप्रथा से निजात दिलाने के लिए बने इस कानून का जिक्र करते हुए कहा कि एक अगस्त 2019 भारतीय संसद के इतिहास का वह दिन है जिस दिन कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस सहित तमाम तथाकथित 'सेक्युलरिज़्म के सियासी सूरमाओं' के विरोध के बावजूद 'तीन तलाक' कुप्रथा को ख़त्म करने के विधेयक को कानून बनाया गया। देश की आधी आबादी और मुस्लिम महिलाओं के लिए यह दिन संवैधानिक-मौलिक-लोकतांत्रिक एवं समानता के अधिकारों का दिन बन गया। यह दिन भारतीय लोकतंत्र और संसदीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नों का हिस्सा रहेगा।

नकवी ने तीन तलाक की कुरीति से मुस्लिम महिलाओं को निजात दिलाने में हुए विलंब के लिए कांग्रेस को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 'तीन तलाक' कुप्रथा के खिलाफ कानून तो 1986 में भी बन सकता था, जब शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट ने "तीन तलाक" पर बड़ा फैसला लिया था। उस समय लोकसभा में अकेले कांग्रेस सदस्यों की संख्या 545 में से 400 से ज्यादा और राज्यसभा में 245 में से 159 सीटें थी, पर कांग्रेस की राजीव गाँधी की सरकार ने 5 मई 1986 को इस संख्या बल का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को कुचलने और "तीन तलाक" क्रूरता-कुप्रथा को ताकत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए संसद में संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल किया।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लेख में आगे कहा है कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने "तीन तलाक" पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई 2017 को तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। जहाँ कांग्रेस ने अपने संख्या बल का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखने के लिए किया था, वहीँ मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक-मौलिक-लोकतान्त्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए फैसला किया। आज एक वर्ष हो गया है, इस दौरान "तीन तलाक" या 'तलाक ए बिद्दत' की घटनांओं में 82 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है, जहाँ ऐसी घटना हुई भी, वहां कानून ने अपना काम किया है।  

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