नई दिल्ली। कोविड-19 का कहर पूरी दुनिया में बरप रहा है। विश्व के तमाम देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को विभिन्न विमामों से अपने देश लाया गया है लेकिन अभी भी खाड़ी देशों में कुछ लोग फंसे हुए हैं, इनको वापस लाने के लिए एयर इंडिया और नेवी को तैयार किया गया है। हालांकि खाड़ी देशों में कोरोना वायरस के खतरे को देकते हुए अभी इनको रोक दिया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा, " हम लोग भारतीय नागरिकों को खाड़ी देशों से निकालने का प्लान बना रहे हैं। अभी हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं और उसी के हिसाब से तैयारी कर रहे हैं। हमने एयर इंडिया और भारतीय नौ सेना को भी कहा है कि वो अपनी विस्तृत योजना बनाएं।
दुबई में भारत के महावाणिज्य दूत विपुल ने स्थानीय अखबार से कहा, "हम अभी भी इस मामले पर दिल्ली से आधिकारिक पुष्टि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। निकासी का तरीका भारत सरकार द्वारा तय किया जाएगा और मुझे यकीन है कि एयर इंडिया इस मिशन में शामिल होगा। भारतीयों को वापस ले जाने के लिए नौसेना की भूमिका होगी इसकी जानकारी मुझे नहीं है।" घर लौटने के इच्छुक भारतीयों से रजिस्ट्रेशन के विषय पर विपुल ने कहा, "इसकी आधिकारिक प्रक्रिया शुरू होना बाकी है। इस मिशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सुविधा दी जाएगी। हम इस मुद्दे पर दिल्ली से अंतिम फैसला आने का इंतजार कर रहे हैं। खाड़ी के तमाम देशों में कोरोनो वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण वहां रहने वाले भारतीय नागरिक डरे हुए हैं। हजारों भारतीयों ने खाड़ी देशों से भारत वापस आने की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन हवाई सेवा और यात्रा के अन्य साधनों के निलंबन के कारण वे वहां फंस गए हैं।
सरकारी सूत्रों ने बताया है कि कई भारतीयों ने सोशल मीडिया और ई-मेल के माध्यम से दूतावासों से संपर्क किया है, जो अपने घरों में लौटने की इच्छा दिखा रहे हैं। सरकार हर संभव योजना बना रही है और उनको उनके मूल स्थानों तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था कर रही है। सूत्रों ने कहा, "लगभग 10 मिलियन भारतीय खाड़ी देशों में हैं और उनमें से कई बंदरगाह शहरों में रह रहे हैं, और इसीलिए सरकार ने भारतीय नौसेना को समुद्री मार्गों के माध्यम से निकासी के लिए एक विस्तृत योजना देने के लिए कहा है।"
भारतीय नौसेना ने, सरकार को सौंपी अपनी विस्तृत निकासी योजना में, उल्लेख किया है कि "भारतीय नौसेना नौसेना के तीन युद्धपोतों से खाड़ी देशों से 1,500 भारतीयों को निकाल सकती है।" विदेश मंत्रालय (एमईए) आवश्यक प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परामर्श शुरू कर चुका है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, "हमने आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के साथ अपना परामर्श शुरू किया है। इसी तरह, सभी एजेंसियों को कहा गया है कि एक रिपोर्ट बनाकर सौंपे कि कैसे उनको भारत वापस लाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक लेटर में कहा था कि भारत के पास 500 से अधिक विमान हैं और भारतीय विमानन खाड़ी देशों से भारतीयों को निकालने में सक्षम हैं।" खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों में अधिकांश मजदूर हैं। यह निर्धारित करने के लिए चर्चा चल रही है कि उनके निकासी का खर्च कौन वहन करेगा। ये खर्चा सरकार उठाएगी या फिर उन यात्रियों से वसूला जाएगा।
गौरतलब है कि खाड़ी देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए नौसेना ने अपनी तैयारी कर ली है। इसके लिए नौसेना ने अपने तीन सबसे बड़े युद्धपोतों को बचाव अभियान में लगाएगा। लोगों को बाहर निकालने में आईएनएस जलश्व दो अन्य युद्धपोतों के साथ तैयार है। सरकार ने इन युद्धपोतों को कुछ दिनों के भीतर चलने के लिए तैयार रहने को कहा है। चूंकि ये बड़े जहाज हैं, विशेष रूप से आईएनएस जलश्व इसलिए सरकार ने इन्हें भेजने का निर्णय लिया है। सरकार का मानना है कि इन जहाजों के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को निकाला जा सकता है इसलिए एयर इंडिया के जंबो की बजाय जहाजों को भेजने का विकल्प चुना गया ।
जलश्व अपने चालक दल के अलावा, 1000 सैनिकों को ले जा सकता है और सोशल डिस्टेंसिंग के बाद, यह लगभग 850 लोगों का ले जा सकता है। दो एलएसटी इसकी तुलना में छोटे हैं (कुम्भिर श्रेणी के जहाज) और चालक दल के अलावा कई सौ लोगों को ले जा सकते हैं। यहां तक कि भारतीय नौसेना के पास विशाखापत्तनम, पोर्ट ब्लेयर और कोचीन में आठ एलएसटी हैं, लेकिन दो को बुलाया जा जा रहा है। यदि जहाजों का उपयोग किया जाता है, और यह एक ऐसा विकल्प है जिस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है, तो खाड़ी देशों से चार से पांच दिन का समय लगेगा और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जहाज किस बंदरगाह से जा रहे हैं। अगर ये लोगों को 3-4 मई से लाना शुरू करते हैं तो उन्हें दो-तीन दिनों का समय लगेगा।
ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान समेत दक्षिणपश्चिम एशिया में फारस की खाड़ी के किनारे वाले देशों को गल्फ कंट्री यानी खाड़ी देश कहा जाता है। यहां पर बड़ी संख्या में भारतीय मजदूर काम करते हैं। यहां पर तेल की फैक्ट्रियों और कंस्ट्रक्शन का काम होता है जहां पर भारतीय मजदूर काम करते हैं। कुवैत, ओमान और बहरीन जैसे छोटे मुल्कों को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। कुवैत में लगभग 10 लाख भारतीयों का घर है, जहां भारत ने कोरोना से लड़ने के लिए अपनी मेडिकल टीम भेजी थी। तीनों मुल्कों में 15 लाख भारतीय बतौर निवासी या कामगार रहते हैं। यहां तक कि इराक जैसे संघर्ष में उलझे मुल्क में भी तेल श्रमिक, ट्रक चालक आदि के रूप में 17,000 से अधिक भारतीय (पिछले साल का आंकड़ा) काम कर रहे हैं।