नई दिल्ली। चीन अपनी कंपनियों के खिलाफ भारत के कड़े कदम और चीनी उत्पाद के खिलाफ माहौल से बौखलाया हुआ है। सीमा विवाद के बीच बीजिंग और दिल्ली दोनों जगहों पर चीन ने भारत के सामने अपनी कंपनियों के संरक्षण का मसला उठाया है। भारत ने कोई सीधा जवाब तो नहीं दिया है लेकिन चीन को साफ संकेत दिया गया है कि ताजा घटनाओं पर चीन का रुख द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय करेगा।
सूत्रों ने कहा चीन एक तरफ सीमा पर भारत विरोधी साजिश रच रहा है, दूसरी तरफ अपने व्यापार को लेकर दबाव बनाने की जुगत में है। चीन की कोशिश है कि वह भारत पर दबाव बनाकर उसे व्यापारिक गतिविधि सामान्य करने के लिए कहे। चीनी कंपनियां मिलकर विभिन्न स्तरों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। सूत्रों ने कहा कि भारत ने कोविड संकट के वक्त भी चीन को स्पष्ट किया था कि इस संकट से निपटने में सहयोग दोनों देशों के भावी संबंधों की दिशा तय करेगा, लेकिन कोविड के दौरान ही चीन ने नया फ्रंट खोल दिया। इससे व्यापार पर असर पड़ना तय है। सूत्रों ने कहा कि जनमत चीन के खिलाफ है। ऐसे में गेंद पूरी तरह चीन के पाले में है। चीन अगर सीमा पर अपना रुख नहीं बदलता तो नए समझौतों के बजाय पुराने समझौतों को ही जारी रखना मुश्किल होगा।
सूत्रों ने बताया कि चीन की कंपनी भारत मे एक साथ मिलकर अपने हितों के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। लोक मत को 'मैनेज' करने के लिए प्रयास हो रहा है, लेकिन भारत के रुख से साफ है कि वह चीन के साथ अब व्यापार के मोर्चे पर भी कठोर तरीके से मोल-तोल करने और चीनी वर्चस्व तोड़ने के लिए ठोस कदम उठाएगा। कई स्तरों पर इसकी शुरुआत हो चुकी है।
कुछ निर्यातकों ने हांगकांग और चीन के सीमाशुल्क विभागों द्वारा सामान की खेप रोके जाने पर चिंता जताई है। निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने गुरुवार को कहा कि चेन्नई बंदरगाह पर भारतीय अधिकारियों ने इसी तरह की कार्रवाई की है। इसकी प्रतिक्रिया में हांगकांग और चीन के सीमा शुल्क विभागों ने यह कदम उठाया है।
देश के लद्दाख क्षेत्र में गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच यह मामला काफी संवेदनशील है। फियो के अध्यक्ष एस. के. सर्राफ ने इस संबंध में वाणिज्य सचिव अनूप वाधवान को पत्र लिखा है। पत्र के अनुसार सर्राफ ने कहा, हमें जानकारी दी गई है कि सीमाशुल्क विभाग चीन से आयातित सभी सामानों की खेप की अधिकारियों से एक-एक करके जांच करा रहा है। इससे खेप को मंजूरी मिलने में देरी हो रही है और आयात की लागत बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कुछ निर्यातकों ने सूचित किया है कि इसके जवाब में हांगकांग और चीन के सीमाशुल्क विभागों ने भी भारत से निर्यात किए गए सामान की खेप को रोक लिया है।