जनभावना से अनजान कांग्रेस, राहुल कर रहे कांग्रेस को असहज

Update: 2020-06-21 01:27 GMT

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ तनातनी व जवानों की शहादत पर कांग्रेस नेता राहुल लगातार राजनीति कर रहे हैं। उनके बयानों में न तो धीरता है और न ही गंभीरता। अपुष्ट खबरों व गलत तथ्यों के आधार पर राहुल गांधी जिस तरह हड़बड़ी में संवेदनशील मुद्दों पर सवाल उठाते हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि वे जनभावना से अनजान हैं। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार में कांग्रेस के सहयोगी और राकांपा नेता शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जिस परिपक्वता का परिचय दिया, वह बताता है कि एक मजे हुए राजनेता को सार्वजनिक स्थलों पर किस तरह संयत रहना होता है। खासकर संवेदनशील मुद्दों पर।

शरद पवार ने राहुल गांधी को सीख दी कि सीमा पर सैनिक हथियार के साथ जाते हैं या नहीं, ऐसे सवालों में राजनीतिज्ञों को नहीं उलझना चाहिए। राहुल गांधी पिछले दो दिनों से राहुल गांधी यही आरोप लगा रहे थे कि सरकार ने सैनिकों को निहत्था भेजा था। शरद पवार रक्षा मंत्री रह चुके हैं और वे इस सच्चाई व संवेदनशीलता को अच्छी तरह जानते हैं।

यह ठीक है कि विपक्ष के नाते सरकार से सवाल पूछना उसका अधिकार है। लेकिन कब और कैसे सवाल करना है, यह महत्वपूर्ण है। किसी भी देश की परंपरा रही है कि कूटनीतिक मुद्दे पर और वह भी तब जबकि पड़ोसी देश से तनातनी चल रही है, सवाल से पहले एकजुटता जरूरी है। यह कांग्रेस के संस्कार में न रहा है और न अब दिख रहा है। कारगिल के समय भी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, तो कांग्रेस ने बहिष्कार कर दिया था।

आश्चर्यजनक तथ्य है कि कांग्रेस पर जो भी सवाल उठ रहे हैं, उस पर अभी तक कांग्रेस की ओर से सफाई नहीं दी गई। डोकलाॅम विवाद के समय भी राहुल गांधी चीन के राजदूत से मिलने पहुंच गए थे। आखिर क्यों ऐसे समय बगैर प्रोटोकोल के उन्होंने यह कदम उठाया? भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा लगातार कांग्रेस के कार्यकाल में चीनी कंपनियों को ठेके दिए जाने की बात कह रहे हैं लेकिन इस पर कांग्रेस व उसके प्रवक्ता चुप्पी साधे हैं। पात्रा का कहना है कि 2008 में कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी आफ चाइना के बीच एक समझौता हुआ था कि दोनों दल एक दूसरे से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर मशविरा करेंगे। पात्रा का दावा तो यह भी है कि भारत में कांग्रेस सरकार होने न होने से परे है। इस पर खुद राहुल क्यों कुछ नहीं कह रहे?

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