रक्षामंत्री ने सेना को सौंपे मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड, कहा- पहले से अधिक घातक और सुरक्षित

Update: 2021-08-24 10:59 GMT

नईदिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को यहां एक लाख मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड आधिकारिक रूप से भारतीय सेना को सौंप दिए। इन नए ग्रेनेड्स को डीआरडीओ ने डिजाइन किया है। इनकी खासियत यह है कि इन्हें आक्रामक और रक्षात्मक दोनों मोड में इस्तेमाल किया जा सकता है। नए ग्रेनेड्स सेना और वायु सेना में अभी तक इस्तेमाल हो रहे विंटेज हैंड ग्रेनेड नंबर 36 की जगह लेंगे।

रक्षामंत्री में कहा की आज, DRDO के 'Terminal Ballistic Research Laboratory' की सहायता से, M/s Economic Explosive Limited द्वारा पहली बार निर्मित 'Multi-Mode Hand Grenade', भारतीय सेना को सौंपा गया है। यह Public और Private Sector की साझेदारी का एक बड़ा उदाहरण है।  मुझे बताया गया, कि यह Grenade, न केवल अधिक घातक है, बल्कि इस्तेमाल करने के लिहाज से अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय भी है। साथ ही यह Offensive और Defensive, दोनों तरीकों से काम करता है।इसकी सटीकता 99 फ़ीसदी से अधिक है।  

1 लाख ग्रेनेड - 

मुझे यह जानकर बड़ी खुशी हुई, कि मार्च 2021 में इसके production की मंजूरी मिली, और 5 माह के भीतर-भीतर आपने 1 लाख ग्रेनेड बना भी लिए। मुझे विश्वास है कि अगली खेपआप और भी तेज गति से डिलीवर करेंगे।  जब मैं देश का गृह मंत्री था तो मैंने एक अख़बार में पढ़ा था, 'India's Defence Industry lacks Fire Power'। स्वाभाविक है मुझे पीड़ा हुई थी। रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद, मेरा हमेशा प्रयास रहा है कि हमारी रक्षा इंडस्ट्री के लिए जितना कुछ भी संभव है, मैं वह सब करूं।  

 Technology आज की जरुरत - 

आज के समय में किसी भी Industry की जो प्राथमिक जरूरतें होती हैं, Technology उनमें से एक है। आज उन्हीं राष्ट्रों का प्रभुत्व है, जिनका प्रभुत्व Technology पर है। चूँकि यह बहुत जल्दी outdated हो जाती है। इसलिए इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए बहुत खर्च करना पड़ता है। मुझे बताया गया कि Industries अपनी R&D में कई बार, 80-90 फीसदी तक खर्च कर देती है, product की cost तो महज 10-20 फीसदी की होती है। ऐसे में नई उभरती industry के लिए technology develop करना बड़ी मुश्किल का काम है।  ऐसे में सरकार द्वारा महत्वपूर्ण technologies का transfer अपने आप में एक बड़ी बात है। निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए, incubator की भूमिका निभाते हुए DRDO ने निःशुल्क technologies का transfer, testing facilities का access तथा 450 से अधिक patents का free access प्रदान किया है।  

नई technologies को innovate करने, Defence और Aerospace से जुड़ी समस्याओं को हल करने, और start-ups लाने के उद्देश्य से, 'Innovations for Defence Excellence' अथवा 'iDEX' भी launch किया गया है।  Multi-Mode Grenade की तरह ही, 'Arjun-Mark-1' tank हो, 'Unmanned Surface Vehicle' हो, 'See Through Armour' हो, या इसी तरह के अनेक products हैं जिनका हमारी industries पूरी तरह स्वदेशी उत्पादन करने लगी है

द्वितीय विश्व युद्ध के विंटेज ग्रेनेड - 

अभी तक सेना में इस्तेमाल हो रहे हैंड ग्रेनेड ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) द्वारा बनाये जा रहे हैं, जिनकी तकनीक द्वितीय विश्व युद्ध के विंटेज ग्रेनेड जैसी है। नए ग्रेनेड्स को सेना और वायु सेना में अभी तक इस्तेमाल हो रहे द्वितीय विश्व युद्ध की पुरानी डिजाइन के ग्रेनेड नंबर 36 की जगह बदला जाएगा। अब बदल रहे तकनीकी युग में सेना को इस अतीत से छुटकारा दिलाने के लिए यह फैसला लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि ओएफबी की तुलना में निजी कंपनी के मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड की उत्पादन लागत भी कम है। 

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