नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा में कहा है कि बॉर्डर में पर होने वाली झड़पें बढ़ रही है और लोग मर रहे हैं। इस स्थिति से निकलने के लिए कोई रास्ता निकालना पड़ेगा। उन्होंने जिस तरह आप चीन से बातचीत कर रहे हैं कि वो पीछे हट जाए वैसे ही हमें हमारे पड़ोसियों से बात करनी चाहिए।
लोकसभा में अपनी बात रखते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति आज ऐसी है कि जहां प्रगति होनी थी वहां कोई प्रगति नहीं है। आज भी हमारे बच्चे और दुकानदारों के पास 4जी फैसिलिटी नहीं है जो हमारे पास हिंदुस्तान की बाकि जगहों पर है। वो तालीम कैसे ले सकते हैं जबकि सबकुछ आज इंटरनेट पर है।
उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान कहा कि वे उन सभी लोगों का आभार प्रकट करना चाहता हैं जिन्होंने उनके हिरासत में रहने के दौरान समर्थन जताया। हिरासत से रिहा होने के बाद पहली बार लोकसभा में आपनी बात रखते हुए नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में प्रगति होनी चाहिए थी लेकिन वहां कोई प्रगति नहीं हुई है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में कुछ लोगों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने का उल्लेख किया और कहा कि मुझे खुशी है कि सेना ने माना कि शोपियां में गलती से तीन आदमी मारे गए। अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संबंधित परिवारों को उचित मुआवजा मिलेगा। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर हिंदुस्तान तरक्की कर रहा है तो क्या जम्मू-कश्मीर को तरक्की नहीं करनी चाहिए।
बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक संसद के किसी भी सत्र में एक साल से अधिक समय बाद हिस्सा लिए हैं। जम्मू-कश्मीर से पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद अब्दुल्ला समेत घाटी के विभिन्न नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।
पिछले साल अनुच्छेद-370 के हटाए जाने की बहस के दौरान, कई विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि अब्दुल्ला को संसद में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए। अब्दुल्ला ने श्रीनगर में एक इंटरव्यू में मीडिया को बताया था कि उन्हें नजरबंदी से बाहर आने के लिए अपने घर का दरवाजा तोड़ना पड़ा था।