नईदिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण से गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि कोरोना संक्रमित महिलाओं को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। आईसीएमआर ने महाराष्ट्र में गर्भवती महिलाओं पर सरकारी संस्थानों और अस्पतालों के सहयोग से यह अध्ययन किया।
यह अध्ययन महाराष्ट्र के 19 मेडिकल कॉलेजों से कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं पर किया है। अध्ययन के मुताबिक पुणे और मराठवाड़ा में कोरोना से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर 0.8 फीसद (34/4203) थी। अध्ययन में महामारी की पहली लहर (मार्च 2020-जनवरी 2021) के दौरान लिए गए 4,203 गर्भवती महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया गया। इनमें पाया गया कि 3,213 कोरोना संक्रमित महिलाओं ने जीवित बच्चे को जन्म दिया जबकि 77 को गर्भपात का सामना करना पड़ा। 834 ऐसे केस थे जिनमें डिलिवरी ही नहीं हो पाई। छह प्रतिशत भ्रूण बच्चे या जन्म के दौरान बच्चे की मौत हो गई।
ये रहा परिणाम -
इस अध्ययन के नतीजों के अनुसार 534 महिलाएं यानी 13 फीसद सिम्टोमैटिक थीं जिनमें से 382 (72 फीसद) को हल्की, 112 (21 फीसद) को मध्यम जबकि 40 (7.5 फीसद) को गंभीर कोविड-19 बीमारी थी। सबसे आम जटिलता जो देखी गई उनमें समय से पहले प्रसव के 528 मामले (16.3 फीसद) थे। यही नहीं गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से ग्रस्त विकार के 328 केस (10.1 फीसद) पाए गए। आइसीएमआर ने पाया कि कुल 158 यानी 3.8 फीसद गर्भवती महिलाओं को गहन देखभाल की आवश्यकता थी। इनमें 96 फीसद कोरोना के कारण थी।