भारत की सहायता में डिएगो गार्सिया में तैनात कर रखा है बम वर्षक विमान बी-2
नई दिल्ली। अमेरिका भारत-चीन सीमा के पास युद्धाभ्यास की तैयारी में है। यह युद्ध अभ्यास वायु सेना बी-2 स्टील्थ बॉम्बर के साथ करेगा। अगर ऐसा होता है तो पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी हवाई सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
बता दें कि अमेरिकी वायुसेना के मुताबिक यह मिशन व्हिटमैन एयर फोर्स बेस में 509वें बम विंग की नियमित तैनाती के रूप में है न कि कोई लड़ाकू मिशन। यह युद्ध अभ्यास अत्यधिक संवेदनशील हिन्द महासागर क्षेत्र में बमवर्षक विमानों को आगे बढ़ाने के लिए तत्परता और प्रशिक्षण का प्रयास है। अमेरिका का बम वर्षक विमान बी-2 भारत के पूर्वी तट के द्वीप डिएगो गार्सिया में भारतीय नौसेना की पहले से ही सहायता और समर्थन कर रहे हैं। बी-2 विमानों ने अफगानिस्तान में ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम के शुरुआती दिनों में तालिबान के ठिकानों पर हमला करने के लिए मिसौरी में व्हिल्टमैन से डिएगो गार्सिया तक सीधे 30 घंटे की यात्रा की थी।
अमेरिकी वायु सेना की रिपोर्ट के अनुसार यह बॉम्बर टास्क फोर्स मिशन कहीं भी, कभी भी लड़ाकू कमांडरों को घातक, लंबी दूरी का भौगोलिक मुकाबला करने के लिए तैयार करने के मकसद से किया जाएगा। इस तरह के मिशन नियमित रूप से होते हैं, फिर भी इसकी व्याख्या प्रशांत महासागर में भारत और अन्य अमेरिकी सहयोगियों को समर्थन देने के रूप में की जा सकती है। बी-2 बम वर्षक लड़ाकू विमान भले ही अमेरिकी वायुसेना में 30 साल से हों लेकिन स्टील्थ बॉम्बर अब नए कंप्यूटर, सेंसर, हथियार और इलेक्ट्रॉनिक्स से लैस होने की प्रक्रिया में है। वायु सेना एक नए बी-2 सेंसर के साथ तेजी से प्रगति कर रही है, जिसे डिफेंस मैनेजमेंट सिस्टम के रूप में जाना जाता है। इसलिए दुश्मन के हवाई हमलों की धमकी से बचता है।
गौरतलब हैं कि भारत के साथ कई दौर की बातचीत के बाद चीन पैंगोंग झील और देपसांग क्षेत्र से हटने का नाम नहीं ले रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका अब ड्रैगन के खिलाफ भारत के साथ आ रहा है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि अमेरिका ड्रैगन को कड़ा संदेश देने के लिए भारत-चीन सीमा पर अपने सबसे घातक परमाणु बमवर्षक बी-2 स्प्रिट को उड़ा सकता है। यह अमेरिकी बमवर्षक एक साथ 16 परमाणु बम ले जा सकता है।