गुवाहाटी। विदेश मंत्री एस जयशंकर और भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी ने असम में भारतीय -जापानी परियोजना की समीक्षा की। इस दौरान विदेश मंत्री विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि पूरे देश के साथ ही असम भी बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रहा है। यहां कनेक्टिविटी की चुनौती सबसे बड़ी है। असम जितना अधिक कनेक्टेट होगा तो उतना ज़्यादा उर्जावान होगा और ज्यादा योगदान कर पाएगा। इससे ज़्यादा रोजगार मिलेंगे। असम लंबे समय से भारत और पूर्व के देशों को जोड़ता रहा है। विदेश मंत्री ने ये बात एक्ट ईस्ट पॉलिसी और उत्तर-पूर्व भारत में भारत-जापान सहयोग के लिए आयोजित बैठक में कहीं।
उन्होंने कहा कि भारत और असम के विकास के लिए भारत-जापान साझेदारी एक वास्तविक बदलाव ला सकती है। आज की बातचीत का विषय एक्ट ईस्ट पॉलिसी और भारत जापान सहयोग था। कहा कि दुनिया पिछले दो दशकों में बहुत तेजी से बदली है। खासकर एशिया में नए उत्पादन, उपभोग, संसाधन और बाजार उभर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अरब सागर से दक्षिण चीन सागर तक कनेक्टिविटी बनाने की जरूरत है। साथ ही कहा, कि जब पूर्वी भारत समृद्ध था तो भारत एक महान देश था।
असम लंबे समय से पूर्व के देशों को भारत से जोड़ने के लिए पुल के रूप में कार्य करता था लेकिन कनेक्टिविटी बाधित हो गयी। लेकिन, 2014 के बाद इसमें बदलाव आया है। भारत पूर्वोत्तर के जरिए विश्व से तेजी से जुड़ रहा है।उल्लेखनीय है कि असम में विधानसभा चुनाव का कभी भी बिगुल बज सकता है। ऐसे में विदेश मंत्री का गुवाहाटी दौरा काफी अहम हो जाता है। उनका असम के महत्व को रेखांकित करना राज्य के लोगों में आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला साबित होगा।