भारत की जनसंख्या अभी हर्ड इम्यूनिटी से बहुत दूर : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री

Update: 2020-09-27 15:40 GMT

नई दिल्ली। दुनियाभर के लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में इससे निजात पाने के लिए कई देश वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। रूस की वैक्सीन इस रेस में सबसे आगे बताई जा रही है। वहीं, रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भारत में कोरोना रिकवरी रेट 80 प्रतिशत के पार पहुंच गया है, लेकिन खबरें ये भी आ रही है कि इस संक्रमण से ठीक होने वाले लोग दोबारा से संक्रमित हो रहे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सीरो सर्वे की दूसरी रिपोर्ट के हवाले से कहा, 'भारत की जनसंख्या अभी हर्ड इम्यूनिटी से बहुत दूर है। हमें कोरोना-19 को लेकर सुस्त नहीं होना चाहिए बल्कि गंभीरता से नियमों का पालन करना चाहिए।' इसके साथ ही लोगों में फिर से हो रहे कोरोना संक्रमण को लेकर हर्षवर्धन ने कहा, 'आईसीएमआर (ICMR) कोविड-19 से दोबारा से हो रहे इंफेक्शन की जांच कर रही है कि आखिर लोग दोबारा से क्यों इससे इंफेक्टेड हो रहे हैं। जबकि अभी इसके मामले कम हैं।'

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि रेमेडिसविर और प्लाज्मा थेरेपी को प्रोत्साहित नहीं किया जाना है। सरकार ने उनके उपयोग के संबंध में एडवाइजरी जारी की है। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों को भी इन जांच उपचारों के नियमित उपयोग के खिलाफ सलाह दी गई है।

जानिए, क्या है हर्ड इम्यूनिटी?

हर्ड इम्युनिटी एक प्रक्रिया है। इसमें लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। वह चाहे वायरस के संपर्क में आने से हो या फिर वैक्सीन से। अगर कुल जनसंख्या के 75 प्रतिशत लोगों में यह प्रतिरक्षक क्षमता विकसित हो जाती है तो हर्ड इम्युनिटी माना जाता है। फिर चार में से तीन लोग संक्रमित शख्स से मिलेंगे तो उन्हें न ये बीमारी लगेगी और न वे इसे फैलाएंगे। एक्सपर्ट मानते हैं कोविड-19 के केस में हर्ड इम्युनिटी विकसित होने के लिए 60 प्रतिशत में रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।

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