कोरोना की दवा के मामले में भी आत्मनिर्भर बनेगा भारत, कई ड्रग्स पर हो रहा ट्रायल

Update: 2020-10-21 07:41 GMT

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कहर के बीच सरकार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में देसी कोरोना की दवा बनाने पर फोकस कर रही है। कोरोना वायरस (कोविड -19) के उपचार के लिए कम से कम दो मौजूदा दवाएं क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में प्रवेश कर चुकी हैं। इन दो कोरोना वायरस की दवाओं का ट्रायल काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) द्वारा किया जा रहा है। इसमें एंटीवायरल दवा उमिफेनोविर और एक अन्य दवा शामिल है, जिसका उपयोग प्रतिरोधी ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया एमडब्ल्यू सेप्सिवैक की वजह से रक्त संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है।

इसके अलावा, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) फाइटोफार्मास्यूटिकल्स या हर्बल दवाओं के साथ भी काम कर रहा है, जिसमें एक एंटीवायरल AQCH भी शामिल है, जो परीक्षण के तीसरे चरण में प्रवेश करने वाला है।

परीक्षण का समन्वय करने वाले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ एस चंद्रशेखर ने कहा कि हमने एमडब्ल्यू सेप्सिवैक पर एक इम्युनोमोड्यूलेटर के रूप में एक बड़ा क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया और यह परीक्षण अच्छी तरह से चला। क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे फेज परिणाम सामने आ गए हैं और अब हम तीसरे चरण के परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यह इम्युनोमोड्यूलेटर कोविड -19 रोगियों के लिए एक बड़ा सहारा बनेगा। हम आयुष मंत्रालय के साथ फाइटोफार्मास्युटिकल के साथ भी काम कर रहे हैं। आज AQCH के लिए हमारा डेटा आया है। यह आधुनिक परीक्षण दृष्टिकोण के साथ मूल्यांकन किया जाने वाला पहला फाइटोफार्मास्युटिकल होगा।

दरअसल, मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा वैकल्पिक उद्देश्यों के लिए बनाई जा रही दवाओं और इनके परीक्षण की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए एक ऑनलाइनन पोर्टल 'क्युर्ड' की शुरुआत की। 'CuRED' नाम की वेबसाइट पर दवाओं और इनके परीक्षण की मौजूदा स्थिति और उसके क्लिनिकल ट्रायल से संबंधित जानकारी मिलेगी। इसी मौके पर डॉ चंद्रेशेखर ने ये बातें कहीं।

सीएसआईआर के डीजी डॉ शेखर मंदे ने कहा कि सीएसआईआर ने कई कंपनियों के सहयोग से कोविड -19 से लड़ने के लिए दवाओं को फिर से तैयार करने के लिए कई परीक्षण शुरू किए थे। इस पोर्टल पर इन परीक्षणों की जानकारी होगी।

डॉ चंद्रशेखर ने कहा कि आत्मानिर्भर भारत के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, हम कोर्टिकोस्टेरोइड पर भी काम कर रहे हैं जो मध्यम और गंभीर कोविड -19 लक्षण वाले रोगियों को दिया जाता है। हालांकि, हम इन कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का 90 फीसदी चीन से आयात करते हैं। अब कई सीएसआईआर संस्थान न केवल इन कॉर्टिकोस्टेरॉइड को बनाने के लिए काम कर रहे हैं, बल्कि एक और 15 एपीआई (सक्रिय फार्मास्युटिकल अवयव) हैं, जो वर्तमान में दुनिया भर में कोविड -19 के उपचार के लिए क्लिनिकल ट्रायलों से गुजर रहे हैं। हमें यकीन है कि अगले दो से तीन महीनों में हम 10 दवाओं के लिए प्रक्रियाओं को विकसित करने और बड़े पैमाने पर औद्योगिक भागीदारों के पास जाने और भारतीय जनशक्ति की क्षमता को दिखाने के लिए क्लिनिकल ट्रायल करने में सक्षम होंगे।

कोरोना के लिए दो अन्य परीक्षण किट जो CSIR प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित किए गए हैं, वर्तमान में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा मूल्यांकन के अधीन हैं। फेलुदा नामक एक टेस्ट, जो इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित पेपर स्ट्रिप टेस्ट का उपयोग करता है, पहले ही अप्रूव हो चुका है और जल्द ही बाजारों में आने की संभावना है। 

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