राज्यसभा में उठा कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा, 1991 का कानून निरस्त करने की मांग

Update: 2021-12-09 13:01 GMT

नईदिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि से जुड़े भूमि विवाद का मुद्दा उठा और मांग की गई कि यथास्थिति बनाए रखने वाले कानून को निरस्त किया जाए। शून्य काल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 अंसविधानिक है। इस कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 के बाद देश में किसी भी पूजा स्थल के बदलाव को रोकने और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने का प्रावधान है। 

अयोध्या राम जन्मभूमि को छोड़ यह कानून अब किसी भी तरह से आस्था के केन्द्र में बदलाव की किसी भी गुंजाइश को समाप्त करता है। यादव ने कहा कि कानून श्रीकृष्ण भूमि सहित अन्य धार्मिक स्थलों के जबरन कब्जे को कानूनी तौर पर मान्यता देता है। यह मनमाना और असंवैधानिक कानून हिंदुओं, जैनियों, सिखों और बौद्धों को अपने धर्म के पालन और प्रचार के अधिकार से वंचित कर दिया है। 

उन्होंने कहा कि यह प्रावधान न केवल समानता के अधिकार के संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन करता है बल्कि संवैधानिक प्रस्तावना के हिस्से धर्मनिरपेक्षता का भी उल्लंघन करता है। अजीब है कि कानून किसी भी नागरिक को अदालतों में इसके खिलाफ जाने से रोकता है, न ही इस कानून को चुनौती दी जा सकती है। यादव के इस बयान का विपक्षी दलों के सांसदों ने विरोध किया। उनका कहना था कि कानून को संसद ने बनाया है। कानून का मकसद संप्रदायों के बीच सोहार्द और सदभाव बनाए रखना है।

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