नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना से निपटने में भारत की भूमिका उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र पर दुनिया का भरोसा बढ़ा है। दुनिया को देश से बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने ये बात तमिलनाडु के डॉ. एम.जी.आर. चिकित्सा विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना चुनौती के समय भारत ने ना सिर्फ रास्ता दिखाया बल्कि विभिन्न देशों की मदद भी की। आप ऐसे समय में स्नातक कर रहे हैं। जब भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र पर दुनिया का भरोसा बढ़ा है। दुनिया को देश से बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के लिए दवाओं और टीकों का उत्पादन कर रहा है। कोरोना मामले में भारत विश्व में सबसे कम मृत्यु दर और उच्चतम स्वस्थ होने की दर में से एक है।
एमबीबीएस सीटों में वृद्धि -
उन्होंने कहा कि हम पूरे मेडिकल एजुकेशन और हेल्थकेयर सेक्टर में बदलाव कर रहे हैं। पिछले 6 वर्षों के दौरान एमबीबीएस सीटों में 30 हजार से अधिक की वृद्धि हुई, जो 2014 से 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। पीजी सीटों की संख्या में 24 हजार की वृद्धि हुई जो 2014 से लगभग 80 प्रतिशत की वृद्धि है। 2014 में, देश में 6 एम्स थे लेकिन पिछले 6 वर्षों में देश भर में 15 और एम्स स्वीकृत किए गए हैं।
एमजीआर का शासन दया से भरा -
प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों और संस्थान की सफलता ने महान एमजीआर को बहुत खुश किया होगा। मोदी ने याद किया कि एमजीआर का शासन गरीबों के प्रति दया से भरा था। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण के विषय उन्हें प्रिय थे। उन्होंने कहा कि भारत श्रीलंका में हमारी तमिल बहनों और भाइयों के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने के लिए जाने जाते हैं जहां एमजीआर का जन्म हुआ था। भारत द्वारा वित्तपोषित एम्बुलेंस सेवा का श्रीलंका में तमिल समुदाय द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
11 नए मेडिकल कॉलेज -
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि सरकार ने तमिलनाडु में उन जिलों में 11 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की अनुमति दी है, जिनके पास मेडिकल कॉलेज नहीं है। इन मेडिकल कॉलेजों के लिए, भारत सरकार 2000 करोड़ रुपये से अधिक देगी। उन्होंने कहा कि बजट में घोषित पीएम आत्म निर्भर स्वच्छ भारत योजना प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा की क्षमताओं को बढ़ावा देगी ताकि नए और उभरते रोगों का पता लगाया जा सके।